लखनऊ। आबकारी विभाग द्वारा बड़े पैमाने पर फर्जीवाडा करते हुए विभाग के राजस्व में हजारों करोड रुपए का चूना लगाया है। इसका खुलासा अपर आबकारी आयुक्त लाइसेंसिंग हरिश्चंद्र श्रीवास्तव जो इस घोटाले के मास्टरमाइंड है उनके द्वारा जारी पत्र से यह ज्ञात हुआ है कि आज की तारीख तक उत्तर प्रदेश में जो भी देसी मदिरा की बिक्री और उत्पादन हो रही है उसमें किसी प्रकार का सिक्योरिटी फीचर या बारकोड नहीं है। दूसरी भाषा में हम यह कहें कि हरिश्चंद्र श्रीवास्तव फर्जी ज्वाइन डायरेक्टर जोगिंदर सिंह और घोटालेबाजों के संरक्षक आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन सी की मिली भगत से शराब माफियाओं ने गत 5 वर्षों में उत्तर प्रदेश के आबकारी विभाग को लगभग 25000 करोड रुपए का चूना लगाया है।
आबकारी विभाग के अधिकृत पोर्टल के बगैर बारकोड की बिकने वाली कोई भी शराब बिना हिसाब किताब की मानी जा रही है। यह अवैध कारोबार हरिश्चंद्र श्रीवास्तव अपर आबकारी आयुक्त लाइसेंस आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन सी और फर्जी जॉइंट डायरेक्टर जोगिंदर सिंह की मिली भगत से की जा रही थी।
हरिश्चंद्र श्रीवास्तव जिनका इस महीने ही रिटायरमेंट हो रहा है उनकी खुद की एक फर्जी कंपनी मैटर द्वारा अभी तक अवैध रूप से शराब कंपनियों को फर्जी बारकोड जारी किया जा रहा था। इस मामले पूर्व प्रमुख सचिव संजय भूस रेड्डी मास्टरमाइंड थे उन्होंने 2019 में ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम लागू करने के लिए अपने करीबी कंपनी ओएसिस को नियम कानून तक पर रखकर ठेका दिलाने में मदद की। ओएसिस कंपनी को 588 करोड रुपए विभाग ने बारकोड जारी करने के लिए डिवाइस उपलब्ध कराने दुकानों पर सीसीटीवी लगाने डिस्टलरी से निकलने वाले वाहनों में जीपीएस सिस्टम स्थापित करने के लिए जारी कर दिया लेकिन यह काम आज तक नहीं हो पाया। टेंडर की शर्तों में यह उल्लेख था कि 1 वर्ष की अवधि में यदि ट्रैक एंड त्रास सिस्टम लागू नहीं हुआ तो आदेश निरस्त हो जाएगा लेकिन संजय भूषण रेड्डी की चाहती कंपनी होने के नाते 5 वर्ष बाद भी ओएसिस कंपनी आज तक ट्रैक और ट्रैक सिस्टम नहीं लागू कर पाई फिर भी उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
हरिश्चंद्र श्रीवास्तव ने किया हजारों करोड़ का वारा न्यारा
अपर आबकारी आयुक्त लाइसेंस हरिश्चंद्र श्रीवास्तव ने मौके का फायदा उठाते हुए अपने ही एक रिश्तेदार अशोक श्रीवास्तव की कंपनी मेंटोरा को अवैध रूप से विभाग का अधिकृत पोर्टल घोषित कर दिया और इसी पोर्टल से कंपनियों को बारकोड जारी किया जाने लगा लेकिन इस कंपनी का उल्लेख कभी भी विभाग के ऑडिट में नहीं किया गया। मतलब साफ है कि विभाग को जो लूटने की छूट दी गई थी उसका एक बड़ा हिस्सा हरिश्चंद्र श्रीवास्तव के जरिए पूर्व प्रमुख सचिव संजय भुस रेड्डी और वर्तमान कमिश्नर सेंथिल पांडियन को भी मिलता रहा है। इस बड़े खेल में कथित जॉइंट डायरेक्टर जोगिंदर सिंह का भी बड़ा हाथ माना जाता रहा है। अगर इस पूरे मामले की जांच हो तो हरिश्चंद्र श्रीवास्तव सेंथिल पांडियन सी और जोगिंदर सिंह को बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है।
विभागीय दस्तावेजों में 2018 से आबकारी विभाग में ट्रैक एंड ट्रस्ट सिस्टम केवल कागजों पर
हरिश्चंद्र श्रीवास्तव के इस पत्र से खुलासा हो गया है कि आबकारी विभाग में ट्रैक एंड ट्रस्ट सिस्टम एक फर्जी वाडा था और 588 करोड रुपए इस मद में ओएसिस कंपनी पूर्व प्रमुख सचिव संजय भूस रेड्डी पूर्व कमिश्नर गुरु प्रसाद और वर्तमान कमिश्नर सेंथिल पांडियन तथा फर्जी जॉइंट डायरेक्टर जोगिंदर सिंह कैसे सिंडिकेट ने बंदर बांट कर लिया।
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