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टपरी शराब कांड में नया खेल! आरोपी डिस्टिलरी प्रबंधन और आबकारी अफसरों को राहत देने की तैयारी?
लखनऊ।
टपरी में अवैध शराब बिक्री प्रकरण एक बार फिर सुर्खियों में है। सूत्रों के अनुसार आरोपी डिस्टिलरी प्रबंधन और आबकारी विभाग के दोषी अधिकारियों को क्लीन चिट देने की तैयारी चल रही है। बताया जा रहा है कि आबकारी आयुक्त को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करनी है, लेकिन उससे पहले ही एसआईटी रिपोर्ट में दोषी पाए गए अधिकारियों और टपरी डिस्टिलरी प्रबंधन को बचाने का खेल शुरू हो चुका है।
खबर है कि आरोपी डिस्टिलरी प्रबंधन और विभागीय अधिकारी आबकारी विभाग के शीर्ष स्तर पर बैठे अफसरों के सीधे संपर्क में हैं। अंदरखाने में यह चर्चा जोरों पर है कि रिपोर्ट को इस तरह तैयार किया जा रहा है कि किसी भी अधिकारी को दोषी न ठहराया जाए।
सबसे बड़ी चर्चा बदायूं में टपरी शराब कांड के दौरान तैनात रहे तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी सुशील मिश्रा (वर्तमान में प्रयागराज के जिला आबकारी अधिकारी) को लेकर है।
बताया जा रहा है कि मंत्री नितिन अग्रवाल के हस्ताक्षरित चार्जशीट स्वयं उनके खिलाफ मौजूद है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आबकारी आयुक्त के स्तर से उन्हें बचाने की हिम्मत आखिर कौन और कैसे कर रहा है?
🔸 2024 में हुआ था “रामप्रीत चौहान प्रकरण” – बड़ा खेल उजागर
पिछले वर्ष 2024 में स्टार लाइट डिस्टिलरी ईएनए घोटाले में सहायक आबकारी आयुक्त रामप्रीत चौहान को मंत्री नितिन अग्रवाल ने तत्काल निलंबित करने के आदेश दिए थे।
लेकिन हैरानी की बात यह रही कि प्रमुख सचिव और तत्कालीन आबकारी आयुक्त ने मिलकर पूरा खेल कर दिया —
👉 उन्होंने रामप्रीत चौहान को कभी सस्पेंड ही नहीं किया,
👉 बल्कि उन्हें मलाईदार पोस्टिंग देकर बचा लिया।
मामले के खुलासे के बाद मंत्री ने खुद जॉइंट एक्साइज कमिश्नर, आगरा से जांच कराई, और जांच रिपोर्ट में रामप्रीत चौहान को दोषी पाया गया।
जांच रिपोर्ट के आधार पर मंत्री नितिन अग्रवाल ने सीधे चौहान की बर्खास्तगी के आदेश जारी कर दिए।
यह घटना विभाग में इस बात का प्रतीक बन गई कि मंत्री के आदेश तक को प्रमुख सचिव और आयुक्त स्तर पर कैसे पलटने की कोशिश की जाती है।
🔸 अब टपरी शराब कांड में भी वही पैटर्न!
विभागीय सूत्रों का कहना है कि अब टपरी डिस्टिलरी मामले में भी वही स्क्रिप्ट दोहराई जा रही है।
आरोपी डिस्टिलरी प्रबंधन और विभागीय अधिकारियों को बचाने की हरसंभव कोशिश चल रही है।
कमिश्नर का रुख बेहद नरम और सहानुभूति भरा बताया जा रहा है।
कहा जा रहा है कि रिपोर्ट में ऐसा “कानूनी संतुलन” बनाया जा रहा है जिससे किसी को दोषी साबित न किया जा सके।
🔸 बड़ा सवाल
क्या आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल एक बार फिर आबकारी आयुक्त की मनमानी और विभागीय खेल पर नकेल कस पाएंगे?
या फिर भ्रष्टाचार की जड़ें एक बार फिर मजबूत होकर सिस्टम को मात देंगी?
📍(अवध भूमि न्यूज़ – विशेष संवाददाता, लखनऊ)
“टपरी शराब कांड की रिपोर्ट से पहले विभाग के भीतर खामोश हलचल तेज है। कौन बचाया जाएगा, कौन फंसेगा — इसका जवाब जल्द कोर्ट की रिपोर्ट में छिपा है।”




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