
नई दिल्ली। लंबे समय से कोरोना की दूसरी लहर में हुई मौतों का आंकड़ा देने से कतरा रही केंद्र सरकार ने आखिरकार मान लिया कि दूसरी लहर में 82 लाख लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और इसमें भी 45 लाख लोगों को अस्पताल और दवाई नहीं मिली। केंद्र सरकार ने जहां आंकड़ा तक जारी किया है जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में हुई मौतों का डाटा जारी किया।
भारत में कोरोना से हुई मौत को लेकर डब्ल्यूएचओ के चौंकाने वाले आंकड़ों के बाद रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) ने ताजा आंकड़े पेश किए है। जिसके मुताबिक, साल 2020 में भारत में काल के ग्रास में समाने वाले 82 लाख लोगों में से 45 फीसदी लोगों को इलाज नहीं मिला, जो उनकी मौत की वजह बनी। हालांकि आरजीआई ने इसमें कोरोना से मौतों को लेकर कोई जानकारी साझा नहीं की है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 में कुल पंजीकृत मौतों में से केवल 1.3 फीसदी लोगों को ही सही इलाज मिल पाया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2020 में जब देश में पहली बार कोरोना की सूचना मिली थी, तब तक महामारी के कारण 1.48 लाख लोगों की जान जा चुकी थी, जो 2021 की तुलना में काफी कम है, क्योंकि 2021 में 3.32 लाख लोगों की कोरोना से मौत हुई।
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