नई दिल्ली। अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। प्रकरण अब गंभीर हो गया है क्योंकि सभी शंकराचार्य ने रामलाल के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से दूरी बना ली है। सभी चार धाम के शंकराचार्य का आरोप है कि रामलाल के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में सनातन धर्म के रीति नीति का पालन नहीं किया जा रहा है।
आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चारों धाम के पीठाधीश्वर शंकराचार्य का इस बात को लेकर विरोध है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिनका विवाह संस्कार हुआ है और जो इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मुख्य यजमान है उन्हें सपत्नीक इस यज्ञ में शामिल होना चाहिए अन्यथा यह वैदिक रीति नीति का उल्लंघन माना जायेगा सभी शंकराचार्य का कहना है कि यदि वह इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे तो यहां जो वैदिक नियमों का उल्लंघन हुआ है जिसका विरोध होना चाहिए उस गलत परंपरा को वह मान्यता दे देंगे इसीलिए वह इस प्राण प्रतिष्ठा समारोह का हिस्सा नहीं बनेंगे।
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दरअसल संघ ने अयोध्या की पूरी कमान धर्मगुरुओं से छीन ली है। संघी चंपत राय जिनका पहले भी अपने परिजनों को लाभ पहुंचाने के लिए पैसे की चपत लगाने में नाम आ चुका है, इस पूरे आयोजन के केंद्र में हैं।
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