कमिश्नर के मुंह लगे बाबू राजकुमार यादव का खेल:
सहायक आबकारी आयुक्त कार्मिक मुबारक अली की भूमिका भी संदिग्ध
प्रयागराज। विभागीय प्रोन्नति में एक बड़ा गर्व झाला सामने आया है। लिपिक संवर्ग से निरीक्षक बनने वाले राजकुमार यादव का एक बड़ा खेल सामने आ गया है। बताया जा रहा है कि 1992 में सिपाही के पोस्ट पर आबकारी मुख्यालय के कार्मिक विभाग में नियुक्ति पाने वाले राजकुमार ने एक ऐसा कारनामा किया जिसके चलते दर्जनों लोगों की वरिष्ठता क्रमांक विचलित हो गई।
बताया जा रहा है कि मार्च 1997 में विभाग की ओर से एक सर्कुलर जारी हुआ जिसमें कहा गया था कि जिनकी सेवा 5 वर्ष पूर्ण हो गई है वह लिपिक संवर्ग के लिए आवेदन कर सकते हैं। चर्चा है कि राजकुमार की सेवा 4 वर्ष से कुछ अधिक हुई थी और वह लिपिक संवर्ग में आवेदन करने के योग्य नहीं हुआ था उसे लगा कि यदि शासनादेश सभी जिलो में सर्कुलर हो गया तो जिनकी सेवा 5 वर्ष पूर्ण हो चुकी है वह बाबू बन जाएंगे और जत्ता सूची के आधार पर उससे पहले ही निरीक्षक बन जाएंगे ऐसे में राजकुमार जोकि कार्मिक में तैनात था उसने एक साजिश रची उसने पत्र को जिलों में सर्कुलेट नहीं होने दिया और जब उसकी सेवा 5 वर्ष हो गई तो उसने इस पत्र को दुबारा से सर्कुलेट कराया और स्वयं भी बाबू बन गया। राजकुमार यादव की इस साजिश की वजह से बहुत से पात्र व्यक्ति जो उससे सीनियर थे राजकुमार यादव के साथ ही लिपिक संवर्ग में आवेदन कर पाए।
ग्रेडेशन लिस्ट बनाने में राजकुमार यादव ने किया फर्जीवाड़ा:
बताया जा रहा है कि राजकुमार यादव जो 1992 में आबकारी मुख्यालय के कार्मिक विभाग में सिपाही के पद पर तैनात हुआ और यही पर फर्जीवाड़ा कर बाबू बन गया और आग इंस्पेक्टर भी बन गया उसने ग्रेडेशन लिस्ट बनाने में भी बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ किया है। यदि सिपाही के पद पर उसकी भर्ती से वरिष्ठता सूची देखी जाय तो वह दर्जनों लोगों से जूनियर है लेकिन उसने फर्जीवाड़ा किया और वरिष्ठता सूची प्रभावित करते हुए आज निरीक्षक बन गया है।
32 वर्षों से राजकुमार यादव का पटल परिवर्तन तक नहीं हुआ:
आपकारी मुख्यालय के कार्मिक विभाग में सिपाही से तैनाती पाते हुए राजकुमारी यादव निरीक्षक तक प्रोन्नति पा गया और 32 वर्षों से एक ही विभाग में एक ही पटल पर लगातार तैनात रहा है उसका पटल परिवर्तन तक नहीं हुआ आखिर इस पर किसकी कृपा बनी है यहां भी चर्चा का विषय है।
फर्जीवाड़ा में माहिर राजकुमार यादव कमिश्नर आदर्श सिंह का खास:
बताया जा रहा है कि राजकुमार यादव आबकारी मुख्यालय में वसूली करता है जिसकी वजह से आज तक उसका ट्रांसफर या पटल परिवर्तन नहीं हुआ। वर्तमान में राजकुमार यादव आबकारी आयुक्त का खास है इसलिए कहा जा रहा है कि इंस्पेक्टर के रूप में भी आबकारी मुख्यालय में इसकी तैनाती रहेगी।
शासन स्तर पर इस बात की जांच होनी चाहिए कि आंखें राजकुमारी यादव 32 वर्षों से लगातार आबकारी मुख्यालय के कार्मिक में कैसे बना हुआ है और उस पर किन अधिकारियों की मिली भगत रही है।
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