
कोलंबो। श्रीलंका आर्थिक रूप से पूरी तरह तबाह हो चुका है। आवश्यक वस्तुओं की कीमत आसमान पहुंच गई है। चावल की कीमत ₹500 किलो पहुंच गई है जबकि चीनी की कीमत भाई से रुपया किलो हो गई है वहीं ₹400 लीटर दूध मिल रहा है। एक पैकेट ब्रेड की कीमत ₹180 हो गया है। मेडिकल स्टोर पर दवाओं की किल्लत हो गई है। गैस डीजल और पेट्रोल का भारी संकट है। श्रीलंका में गृह युद्ध की नौबत पैदा हो गई है। सरकार कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रही है। हालात इतने खराब है कि सेना के मेस में भी खाद्यान्न संकट पैदा हो गया है।
पुलिस वाहनों को मोब्लाइज करने के लिए डीजल नहीं मिल पा रहा है। पावर हाउस के लिए कोयला का भी संकट पैदा हो गया है।
पूरी दुनिया से मांगी मदद कोई भी सामने नहीं आया
श्री लंका प्रशासन ने दुनिया से मदद की गुहार लगाई है लेकिन कोई भी देश चीन की मदद को आगे नहीं आया।
सरकार को छोड़कर सब कुछ प्राइवेट हुआ
श्रीलंका की इस बदहाली और दुर्दशा का कारण वहां निजी करण को बताया जा रहा है। श्रीलंका ने सरकारी जमीन चीनी कंपनियों ने खरीद लिया है। बंदरगाह बैंक पोस्ट ऑफिस रेलवे की जमीन बेचने के बावजूद उसके हालात नहीं सुधर रहे।
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