
पूरे विकास भवन की बिल्डिंग पर खर्च हुए डेढ़ करोड़ रुपए जबकि एक सभागार के मेंटेनेंस पर ही खर्च कर दिया 5000000 रुपए
प्रतापगढ़। जिला अधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी की नाक के नीचे ग्रामीण अभियंत्रण सेवा यानी आरईएस ने कार्यदाई संस्था के तौर पर भ्रष्टाचार का ऐसा कारनामा अंजाम दिया है जिसको देख सुनकर लोग दांतों तले उंगली दबा लेंगे। सबसे मजेदार बात यह है कि विकास भवन की पूरी बिल्डिंग की लागत डेढ़ करोड़ रुपए थी जबकि उसके एक सभागार के फर्नीचर कुर्सी और मेज पर ही 5000000 रुपए खर्च कर दिए गए। मौके पर कुछ भी नया नहीं है और ज्यादा से ज्यादा ₹500000 का काम हुआ है।
ग्रामीण अभियंत्रण सेवा को विकास भवन में दीनदयाल उपाध्याय सभागार के रिनोवेशन का काम मिला तो बिना कुछ भी नया किए एक सभागार के रिनोवेशन के नाम पर ₹50 लाख डकार गए। मजेदार बात यह है कि कमरे के सभी फर्नीचर और फॉल सीलिंग सब पुराना ही है लेकिन उसे नया बता कर रूरल इंजीनियरिंग सर्विस ने फंड की बंदरबांट कर ली।
बिल का रेट अप्रूवल नहीं
ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग की मनमानी का आलम यह है कि फर्नीचर एसी कुर्सी मेज और फॉल सीलिंग के नाम पर ₹5000000 खर्च किया गया जबकि किसी चीज का रेट अप्रूव्ड नहीं है।
पुराने फर्नीचर कुर्सी और मेज का क्या हुआ
अब सवाल यह पैदा होता है कि अगर सभागार में कुर्सी मेज एसी आदि नई लगाई गई है तो पुराने फर्नीचर को क्या किया गया उसे बेच दिया गया या फिर कबाड़ घोषित किया गया इसका जवाब किसी के पास नहीं है

टॉयलेट के मरम्मत और रिनोवेशन के नाम पर डकार लिया 2500000 रुपए
ग्रामीण अभियंत्रण सेवा का भ्रष्टाचार यहीं नहीं रुका विकास भवन के शौचालयों के रिनोवेशन के नाम पर 25 लाख रुपया प्राप्त हुआ जबकि शौचालय भी वही पुराने के पुराने हैं। बेहद गंदे और बदबूदार फिर भी शौचालय के रखरखाव और मेंटेनेंस के नाम पर 2500000 रुपए हड़प लिया गए।
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