अयोध्या। अशुभ मुहूर्त और अपूर्ण राम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर सभी शंकराचार्य के विरोध के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मुख्य यजमान पद से हट गए हैं। कहां जा रहा है कि बहुत से जानकारी आचार्य और कर्मकांड मर्मज्ञों से विमर्श के बाद उन्होंने मुख्य यजमान बनने से इनकार कर दिया। कहा जा रहा है कि मुख्य यजमान के लिए जो नियम विधान बताए गए हैं उसका पालन करने में प्रधानमंत्री स्वयं को असमर्थ पा रहे थे इसमें सबसे बड़ा नियम था की विवाह संस्कार वाले व्यक्ति को पत्नी के साथ यज्ञ करना चाहिए।
डॉ अनिल मिश्रा होंगे मुख्य यजमान
राम लला के प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या के विवेक सृष्टि आश्रम में मंगलवार को अनुष्ठान प्रारंभ हो गया. काशी के पंडितों ने सरयू में स्नान करने के बाद अनुष्ठान का शुभारंभ किया.
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य यजमान डॉ़ अनिल मिश्र 11 दिनों तक नियम-संयम का पालन करेंगे. वे दस दिनों तक सिला हुआ सूती वस्त्र नहीं पहनेंगे. स्वेटर, ऊनी शॉल, कंबल धारण कर सकेंगे। केवल फलाहार करेंगे. रात्रि आरती के बाद सात्विक भोजन, सेंधा नमक का इस्तेमाल करेंगे. जमीन पर कुश के आसन पर सोएंगे. अन्य कई कठोर नियमों का उन्हें पालन करना होगा. उन्होंने यह नियम-संयम मकर संक्रांति से शुरू भी कर दिया है.
रामलला की प्रतिमा 18 जनवरी को गर्भगृह में निर्धारित आसन पर स्थापित कर दी जाएगी. पिछले 70 वर्षों से पूजित वर्तमान प्रतिमा को भी नए मंदिर के गर्भगृह में ही रखा जाएगा. प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में दिन के 12:20 बजे प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य अनुष्ठान आरंभ होगा. यह पूजा करीब 40 मिनट तक चलेगा…
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