
आबकारी मुख्यालय में ‘अटैचमेंट विवाद’ गहराया: शैलेंद्र तिवारी की तैनाती और वेतन निर्गमन पर उठे गंभीर सवाल
अवध भूमि न्यूज़ | विशेष रिपोर्ट
प्रयागराज में तैनात प्रभारी निरीक्षक (होलसेल लाइसेंस) शैलेंद्र तिवारी का अटैचमेंट अब बड़े विवाद में बदलता दिख रहा है। विभागीय रिकॉर्ड, आरटीआई जवाब और सहारनपुर प्रवर्तन कार्यालय की पुष्टि ने कई गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं, जिनकी जांच आवश्यक मानी जा रही है।
🔴 आरटीआई में बड़ा खुलासा: ‘अटैचमेंट का कोई प्रावधान नहीं’
डिप्टी कार्मिक कुमार प्रभात चंद्र ने एक आरटीआई के लिखित जवाब में स्पष्ट किया है कि—
- आबकारी विभाग में अटैचमेंट का कोई नियम, आदेश या वैधानिक प्रावधान मौजूद नहीं है।
- यानी किसी भी कर्मचारी को बिना विधिक आधार के मुख्यालय में तैनात नहीं किया जा सकता।
यह जवाब स्वचालित रूप से सवाल उठाता है कि सहारनपुर प्रवर्तन-2 से तैनाती रहते हुए शैलेंद्र तिवारी को मुख्यालय प्रयागराज में पदभार कैसे दिया गया?
🔴 सहारनपुर प्रवर्तन-2 की पुष्टि: “रिलीज़ ऑर्डर कभी जारी नहीं हुआ”
सहारनपुर प्रवर्तन कार्यालय ने आधिकारिक रूप से बताया है कि—
- शैलेंद्र तिवारी का रिलीव ऑर्डर कभी जारी नहीं किया गया।
- विभागीय उपस्थिति रिकॉर्ड में उनका कार्यक्षेत्र अब भी सहारनपुर प्रवर्तन-2 ही दर्शाता है।
इससे तैनाती आदेश और विभागीय प्रक्रिया पर और भी सवाल खड़े हो गए हैं।
🔴 सबसे बड़ा सवाल: सहारनपुर से वेतन निर्गत… लेकिन ‘पे मेमो’ गायब
सहारनपुर दफ़्तर ने यह भी कहा है कि—
- प्रयागराज मुख्यालय में कार्यरत रहते हुए भी शैलेंद्र तिवारी का वेतन सहारनपुर से निर्गत होता रहा।
- लेकिन किसी प्रकार का ‘पे मेमो’, जॉइनिंग/रिलीज़ आदेश या अटैचमेंट अनुमोदन उपलब्ध नहीं है।
यही वजह है कि इस पूरे प्रकरण को अब विभागीय सूत्र “वेतन अनियमितता” और “प्रक्रियागत उल्लंघन” की श्रेणी में देख रहे हैं।
⚠️ किन-किन पर आ सकती है कार्रवाई? संभावित जिम्मेदारी के बिंदु
नीचे संभावित जिम्मेदारी के सामान्य प्रशासनिक सिद्धांतों के आधार पर दिए गए हैं—किसी भी अधिकारी पर प्रत्यक्ष आरोप नहीं लगाया जा रहा है:
1️⃣ तैनाती/अटैचमेंट आदेश जारी करने वाला कार्मिक प्रकोष्ठ
- यदि बिना वैधानिक प्रावधान के आदेश जारी हुआ हो, तो यह प्रक्रियागत उल्लंघन की श्रेणी में आ सकता है।
- संभावित कार्रवाई: स्पष्टीकरण / अनुशासनात्मक जांच / दंडात्मक कार्यवाही।
2️⃣ सहारनपुर प्रवर्तन-2 का कार्यालय
- यदि बिना रिलीज़ ऑर्डर के वेतन निर्गत हुआ, तो यह वित्तीय अनियमितता की प्रारंभिक जिम्मेदारी माना जा सकता है।
- संभावित कार्रवाई: रिकॉर्ड सत्यापन, वेतन निर्गमन प्रक्रिया की जांच।
3️⃣ प्रयागराज मुख्यालय—कार्मिक प्रबंधन अनुभाग
- बिना जॉइनिंग आदेश/रिलीज़ पत्र के किसी अधिकारी को कार्यभार देना प्रशासनिक त्रुटि मानी जा सकती है।
- संभावित कार्रवाई: लापरवाही या कदाचार की जांच।
4️⃣ सहायक आबकारी आयुक्त प्रवर्तन दो सवालों के घेरे में
- बिना पे मेमो के वेतन निर्गमन को अनुमति देना गंभीर वित्तीय अनियमितता बन सकता है।
- संभावित कार्रवाई: वित्तीय जवाबदेही, ऑडिट जांच, विभागीय कार्यवाही।
5️⃣ स्वयं संबंधित अधिकारी (यदि दस्तावेज़ों में विसंगतियाँ सिद्ध होती हैं)
- यदि अधिकारी बिना रिलीज़/जॉइनिंग आदेश के दूसरे जनपद में कार्यरत पाए जाते हैं तो यह आचरण नियमावली के उल्लंघन में आ सकता है। सहायक प्रवर्तन अधिकारी सीधी जिम्मेदारी बनती है
- संभावित कार्रवाई: स्पष्टीकरण, विभागीय जांच, निलंबन/दंड (जांच निष्कर्ष पर निर्भर करेगा)।
🔍 संभावित जांच के प्रमुख प्रश्न
- बिना नियम/प्रावधान के अटैचमेंट कैसे माना गया?
- रिलीज़ ऑर्डर और पे मेमो गायब क्यों हैं?
- वेतन निर्गत किस अनुमति के तहत हुआ?
- प्रयागराज मुख्यालय में पदभार किसने और किस प्रशासनिक आदेश पर दिलवाया?
- क्या पूरी प्रक्रिया एक संगठित प्रशासनिक त्रुटि थी या जानबूझकर की गई अनियमितता?
📌 निष्कर्ष
अटैचमेंट का कोई नियम नहीं… रिलीज़ ऑर्डर जारी नहीं… पे-मेमो नहीं…
इन तीनों बिंदुओं के सामने आने के बाद यह मामला अब एक उच्च स्तरीय विभागीय जांच की ओर बढ़ सकता है।
फिलहाल विभाग में इस मुद्दे को संभावित वेतन अनियमितता और प्रशासनिक उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा है। आगे की कार्रवाई अब शासन और आबकारी मुख्यालय के निर्णय पर निर्भर करेगी।
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