
मुंबई। रेलवे ने पहली बार बड़ी कार्रवाई करते हुए अपने 19 बड़े अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है।
रेलवे ने अपने 19 अधिकारियों के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है। ये सभी अधिकारी रेलवे के इतिहास विभाग के थे। मोदी सरकार ने खराब प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। इन सभी को जबरिया रिटायर कर दिया गया है। इस लिस्ट में 10 अधिकारी जॉइंट सेक्रटरी के लेवल के हैं।
रेलवे मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद अश्विनी वैष्णव ने साफ कह दिया था कि कर्मचारियों को या तो काम करना होगा या फिर उन्हें घर में बैठा दिया जाएगा। बीते 11 महीने में 96 अधिकारियों को वीआरएस दिया जा चुका है। मोदी सरकार ने सरकारी अधिकारियों कि समय समीक्षा के तहत केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन अधिनियम 1972 56 जे आई के नियम 48 के तहत यह कार्रवाई की है।
ये सभी अधिकारी एमसीएफ, मध्य रेलवे, पश्चिम रेलवे, नॉर्थ फ्रंट रेलवे, सीएलडब्ल्यू, पूर्व रेलवे, दक्षिण पश्चिमी रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे, आरडीएसओ, ईडीसेल और उत्तर रेलवे के पदों पर पोस्टेड थे। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि जिनको रिटायर किया गया है उनमें मेडिकल एवं सिविल के तीन-तीन अधिकारी, इलेक्ट्रिकल एवं सिग्नल के चार-चार अधिकारी, यातायात एवं मकैनिकल के एक एक अधिकारी शामिल हैं।
आने वाले समय में हजारों कर्मचारियों की छटनी कर सकता है रेलवे
सूत्रों की बात पर भरोसा करें तो शारीरिक रूप से अक्षम या खराब परफॉर्मेंस वाले कर्मचारियों की पहचान की जा रही है और बड़ी संख्या में आने वाले समय में ऐसे कर्मचारियों को घर भेजने की तैयारी चल रही है।
इधर कर्मचारियों का कहना है कि रेलवे के निजीकरण का सीधा असर दिखाई देने लगा है सरकार कर्मचारियों का बड़े पैमाने पर उत्पीड़न कर रही है ताकि निजी करण का रास्ता साफ हो सके।
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