
लखनऊ। केंद्र सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन में समूह को स्टार्टअप फंड में दिए गए 195 करोड़ रुपए का बंदरबांट हो गया है।
केंद्र सरकार की गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए फंड का डायवर्जन कर दिया गया। समूह को फूटी कौड़ी नहीं दी गई। कागज पर प्रशिक्षण कराने के लिए एस आई आर डी को धनराशि दी गई और उसका फर्जी तरीके से उपभोग भी करा दिया गया। राज्य सरकार की ओर से स्टार्टअप फंड में कितना पैसा मिला इसका जवाब देने के लिए संयुक्त प्रबंध निदेशक मथुरा प्रसाद मिश्रा और निदेशक भानु प्रसाद गोस्वामी तैयार नहीं है।
लगभग 4000 करोड का है बजट : फिर भी 18 महीने से 6 लाख समूह को नहीं मिल रहा स्टार्टअप फ़ंड
गांव में महिलाओं द्वारा समूह का गठन गठित समूह को आरएएफ सीआईएफ के तहत फूटी कौड़ी नहीं मिली। जबकि इसी काम के लिए लगभग 4000 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है।
गांव में समूह की गतिविधियां ठप:
पैसे के अभाव में गांव में स्वयं सहायता समूहों की गतिविधियां पूरी तरह ठप है। स्टार्टअप फंड के अभाव में जहां नए समूह कार्य नहीं कर पा रहे वही आर ए एफ और सीआईएफ नहीं मिलने की वजह से गांव में ड्राइव और ट्रेनिंग का काम पूरी तरह ठप है।
कहां गया हजारों करोड़
हजारों करोड़ का फंड आखिर गया कहां। इसका जवाब किसी के पास नहीं है। संयुक्त प्रबंध निदेशक मथुरा प्रसाद मिश्रा इस बारे में कुछ भी स्पष्ट में नहीं बता पा रहे जबकि निदेशक भानु प्रसाद गोस्वामी इस मुद्दे पर बात करने को ही तैयार नहीं है।
स्वयं सहायता समूह से सरकार को बड़ी आशा लेकिन अधिकारी फेर रहे हैं मंसूबों पर पानी
प्रदेश सरकार को भरोसा था कि 600000 सिम सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं मिशन 2022 में उसका बेड़ा पार कर देगी लेकिन मिशन के अधिकारी सरकार के मंसूबों पर पलीता लगाते दिख रहे हैं।
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