
लखनऊ। संजय भूस रेड्डी की गलत नीतियों के चलते जहां उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर शराब की तस्करी हो रही है वही सरकारी लाइसेंसी दुकानों पर सेल्समैन ही मिलावट कर नकली शराब तैयार कर रहे हैं और विभाग को चूना लगा रहे हैं।
एडीजी जोन प्रयागराज प्रेम प्रकाश द्वारा नकली शराब के खिलाफ चलाए जा रहे एक विशेष अभियान में आबकारी महकमे की पोल खुल गई। स्वयं अंतू थाना अंतर्गत पकड़े गए 1 सेल्समैन ने कुबूल किया है कि वह लंबे समय से नकली शराब बनाने का काम करता रहा है। उसने ब्रांडेड शराब का कार्क बिना सील तोड़ी अलग किया आधी बोतल शराब दूसरी बोतल में डाली और पानी मिलाकर एक नई बोतल मिलावट वाली शराब तैयार कर दी इतना ही नहीं मिलावट वाली शराब में जो ढक्कन लगाई गई उसका क्यू आर हूबहू असली शराब के क्यूआर से मिलता जुलता रहा।
देखिए एडीजी प्रेम प्रकाश का ऑपरेशन ऑल क्लियर
संजय भूसरेड्डी और हरीश चंद्र श्रीवास्तव ही हैं असली मास्टरमाइंड
इस खेल में हरीश चंद्र श्रीवास्तव का नाम प्रमुखता से उभर कर सामने आ रहा है। सभी शराब की यूनिक क्यूआर कोड तैयार करने की जिम्मेदारी इन्हीं के पास है। शासन की ओर से यूपी डेस्को को क्यू आर कोड तैयार करने का जिम्मा मिला था लेकिन अपर आबकारी आयुक्त लाइसेंस हरीश चंद्र श्रीवास्तव ने शराब माफियाओं के कहने पर यह कार्य एक प्राइवेट फर्म को दे दिया जहां पर डुप्लीकेट क्यूआर कोड तैयार होने लगे और यह क्यूआर कोड नकली और अवैध शराब बनाने वाले माफियाओं के हाथ भी लग गए।
इतना ही नहीं बहुत ही शराब कंपनियां अपनी डिस्टलरी में क्यूआर कोड की कॉपी करके डबल या ट्रिपल बॉटल तैयार करने लगी इससे उन्हें जहां एक और बिना हिसाब-किताब वाली शराब से मोटी कमाई होने लगी वही सरकार को राजस्व की बड़ी क्षति होने लगी।
चालू वित्त वर्ष में आबकारी विभाग को हो सकता है हजारों करोड़ का नुकसान
इस बीच शासन द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2021 के मुकाबले अप्रैल 2022 में शराब बिक्री से सरकार को लगभग 100 करोड रुपए का नुकसान हुआ है। यह मात्र 1 महीने के राजस्व क्षति का आंकड़ा है अगर पूरे साल भर का राजस्व क्षति देखा जाए तो नकली शराब की बिक्री की वजह से सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान हो सकता है।
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