
नई दिल्ली। आज तक चैनल के महा मंच पर मशहूर इतिहासकार चमन लाल बजाज ने सावरकर और भगत सिंह की विचारधारा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अंडमान निकोबार के सेल्यूलर जेल में तमाम यात्राओं को सहने के बावजूद बहुत से क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के महीना में के प्रस्ताव को ठुकरा दिया जबकि सावरकर ने अपनी रिहाई के लिए अंग्रेजी हुकूमत के सामने घुटने टेक दिए और गिड़गिड़ा रहे थे। बजाज ने कहा कि भगत सिंह ने अंग्रेजों से कहा कि उनके सीने में गोलियां उतारी जाए जो एक शहीद का सम्मान है उन्हें फांसी के बजाय सीने पर गोली खाना पसंद है जबकि सावरकर भगत सिंह के इस विचार से सहमत नहीं थे उन्होंने अंग्रेजों से माफी मांगने को सही सही मानते हुए अंग्रेजी हुकूमत के सामने एक रिहाई की याचिका दाखिल की।
आज तक के मंच पर पहली बार सावरकर के माफीनामा पर खुलकर बहस हुई
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