
नई दिल्ली। तो क्या भारत आर्थिक रूप से तबाही के कगार पर आकर खड़ा हो गया है। यह सवाल इसलिए खड़ा हो गया है क्योंकि एक आर्थिक समीक्षा में पाया गया है कि 2021 में एशिया की सबसे कमजोर मुद्रा रुपया बन गई है। अभी एक अमेरिकी डॉलर ₹78 का हो गया है।
भारत की पूंजी बाजार से रुपया निकालकर भाग रहे विदेशी निदेशक
गौरतलब है कि बिकवाली हावी होने का मतलब है कि घरेलू शेयर बाजार से विदेशी निवेशक अपना पैसा तेजी से निकाल रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अक्तूबर दिसंबर तिमाही में भारतीय रुपया 1.9 फीसदी कमजोर हो चुका है। इस अवधि में भारतीय मुद्रा 74 रुपये प्रति डॉलर के मुकाबले अब 76 रुपये प्रति डॉलर के पार पहुंच गई है। यहां तक कि पाकिस्तानी रुपये और श्रीलंकाई मुद्रा जैसी दक्षिण एशिया की छोटी करेंसियों के मुकाबले भी रुपये का प्रदर्शन कमजोर दिख सकता है। इसके विपरीत, पिछले 12 महीनों के दौरान अधिकतर एशियाई मुद्राओं ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बढ़त दर्ज की है। अन्य करेंसियों की बात करें चीन की तो चीन ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपनी मुद्रा को 20% तक मजबूत कर लिया है।
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