
लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में प्रदेश के लगभग 600000 स्वयं सहायता समूह की 70 लाख महिलाएं और 60 हजार बैंक और विद्युत सखियां अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह और प्रबंध निदेशक भानु चंद्र गोस्वामी के बिछाए जाल में फंस गई है।
समूह को लूटने के लिए बैंक सखी और विद्युत सखी की की गई तैनाती:
उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में आरएएफ और सीआईएफ के तहत ₹110000 की धनराशि समूहों के खाते में अंतरित की गई। इस धनराशि से समूहों को छोटे-छोटे कुटीर उद्योग स्थापित करके आजीविका हासिल करना था लेकिन इस उद्देश्य पर पानी फेरते हुए शातिर अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह और प्रबंध निदेशक भानु चंद्र गोस्वामी ने इस धनराशि को हड़पने की योजना बनाई। इस योजना के तहत समूह सखियों की भर्ती की गई।
समूह सखियों को स्थाई नौकरी के सब्जबाग दिखाए गए और उनसे वसूली की गई:
शातिर मनोज सिंह ने एन आर एल एम की गाइड लाइन का खुला उल्लंघन करते हुए समूह सखियों की नियुक्ति की जबकि एनआरएलएम की गाइड लाइन में समूह सखियों की नियुक्ति का कोई प्रावधान ही नहीं है। बताने की जरूरत नहीं है कि प्रत्येक सखियों की नियुक्ति में एक से डेढ़ लाख रुपए की वसूली हुई।
स्वयं सहायता समूह से धनराशि की वसूली करना ही बैंक सखियों और विद्युत सखियों का काम:
आरोप है कि ग्राम्य विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह और प्रबंध निदेशक भानु चंद्र गोस्वामी ने समूह सखियों पर दबाव बना कर विजन इंडिया नाम की कंपनी में 180000 करोड़ रुपए ट्रांसफर करा दिया और घटिया डिवाइस समूह सखियों को उपलब्ध कराया गया। जिसमें ज्यादातर खराब है। समूह सखियों को जहां कर्जदार बनना पड़ा है वही समूहों पर भी 5% ब्याज के साथ देनदारी फिक्स कर दी गई है।
बताया जा रहा है कि इसके एवज में विजन इंडिया ने अपर मुख्य सचिव को मोटा कमीशन दिया है।
विद्युत सखियों के नाम पर हो रहा खेल
60 हजार बैंक सखियों को पढ़ने के बाद विद्युत सखियों को भी ठगने की तैयारी है। विद्युत सखियों के माध्यम से प्रत्येक समूह के सीआईएफ और आर ए एफ फंड से ₹30000 खाते में ट्रांसफर करवाए जा रहे हैं। या खाता icici बैंक में खोला गया है। अब तक हजारों करोड़ रुपए इस खाते में ट्रांसफर कराए गए हैं। माना जा रहा है कि समूह का फंड लूटने की योजना के तहत ही यह धनराशि ट्रांसफर कराई गई है।
बिना बुक ऑफ रिकॉर्ड चलाए जा रहे हैं समूह
अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह ने बुक ऑफ रिकॉर्ड समूहों द्वारा छपवाने पर रोक लगा दी। जबकि मुख्यालय की तरफ से बुक ऑफ रिकॉर्ड छपवा कर समूहों को नहीं दिया गया। परिणाम स्वरूप सभी छह लाख समूह बिना बुक ऑफ रिकॉर्ड के संचालित हो रहे हैं। कहा जा सकता है कि समूह को भेजी गई धनराशि उनके कामों का कोई विवरण अब सरकार के पास उपलब्ध नहीं है।
ट्रेनिंग में भी घोटाला:
पहले मिशन कार्यालय स्तर से होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों को केंद्रित करते हुए सारे प्रशिक्षण कार्यक्रम अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह के निर्देश पर राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से लेकर एस आई आर डी को दे दिया गया है। बताने की जरूरत नहीं कि ज्यादातर प्रशिक्षण कार्यक्रम कागज पर ही चल रहे हैं।


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