
वाराणसी। प्रियंका गांधी आज कबीरचौरा पहुंच गई। उनके चेहरे पर चुनाव का कोई तनाव नहीं दिखाई दिया। ऐसा प्रतीत हुआ कि वह पूरी तरह आध्यात्मिक यात्रा पर है। कबीर चौरा की मूल गद्दी को उन्होंने सिर झुकाया महंत ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनके साथ काफी देर तक आध्यात्मिक चर्चा की।
आज सुबह उन्होंने बिल्कुल सादा और अनौपचारिक शिल्प में कबीरमठ-स्थित कबीर के पालनहार माता-पिता नीरू-नीमा की समाधि का दर्शन-अवलोकन किया और मठ में स्थित कबीर के बचपन और उनके व्यवसाय से जुड़ी पुरानी सामग्रियों को भी देखा.
कबीरचौरा संगीत का वैश्विक केंद्र है. उत्तरभारतीय शास्त्रीय संगीत की तीन प्रमुख विधाओं – क्लैसिकल गायकी, कथक नृत्य और तबले की सिद्धपीठ भी है.
कबीरचौरा की सँकरी जनाकीर्ण गलियों से होते हुए प्रियंका जी अपने चुनिंदा सहयोगियों के साथ गायन, वादन और नृत्य के तीनों अंगों के तीन प्रतिनिधि परिवारों तक पहुँची. पद्मविभूषण दिवंगत पंडित किशन महाराज के यशस्वी पुत्र पंडित पूरन महाराज और उनके शिष्यों और परिचितों से मिलीं और कुछ देर तक तबले के बोल सुनती रहीं.
इसके बाद वह कथकक्वीन विदुषी सितारा देवी के मकान पर जाकर उनके पौत्र यशस्वी कथक नर्तक विशाल कृष्ण और उनके परिवार से मिलीं और गलियों में उपस्थित बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों के साथ तस्वीरें खिंचवाईं
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