
लखनऊ। आबकारी विभाग में शीरा इंडेंट आवंटन में पिछले 5 वर्षों से लगभग 40000 करोड़ रुपए का गोलमाल हुआ है। इस खेल का मास्टरमाइंड कंप्यूटर लिपिक अमित अग्रवाल व अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी और उनका एक नजदीकी रिश्तेदार नागेश्वर राव के कारनामे चर्चा के विषय बने हुए हैं।
नागेश्वर राव की कंपनी को नियमों को ताक पर रखकर किया जाता है शीरा इंडेंट का आवंटन
नागेश्वर राव जोकि अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी का करीबी रिश्तेदार बताया जा रहा है पिछले चार-पांच वर्षों से चीनी मिलें नियमों को ताक पर रखकर शीरा आवंटन कर रही है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि शीरा इंडेंट आवंटन के लिए टेंडर या शासनादेश होना जरूरी होता है लेकिन नागेश्वर राव की कंपनी के लिए इस नियम में विशेष रुप से शिथिलता बरती जा रही है। कहां जा रहा है कि नागेश्वर राव की कंपनी शीरा पहले उठाती है जबकि टेंडर और बाकी फॉर्मेलिटीज बाद में बेड डेट में पूरी की जाती है। केवल इसलिए हो पा रहा है क्योंकि संजय भूसरेड्डी ने नागेश्वर राव की कंपनी पर विशेष कृपा बना रखी है।
अमित अग्रवाल और नागेश्वर राव के बगैर आबकारी चीनी उद्योग और गन्ना विभाग में किसी की नही गलती दाल
यह आम चर्चा है कि आबकारी विभाग में अगर किसी भी अधिकारी की ट्रांसफर पोस्टिंग या फिर शराब कंपनियों को मनमाफिक दाम पर शीरा आवंटन चाहिए तो उसे हर हाल में अमित अग्रवाल या नागेश्वर राव के सिंडीकेट में शामिल होना पड़ेगा।भूसरेडी के कार्यकाल में जितना भी शीरा उत्तर प्रदेश के बाहर निर्यात हुआ है उसमें से 70% अपर मुख्य सचिव आबकारी संजय भूसरेड्डी के रिश्तेदार नागेश्वर राव द्वारा दक्षिण भारत में ही हुआ है । यह सब अमित अग्रवाल की विशेष कृपा के चलते संभव हो पाया है क्योंकि इस शीरा निर्यात के कार्य में अमित अग्रवाल भूसरेड्डी के इशारे पर नागेश्वर राव के प्रतिनिधि के तौर पर काम करता था इस कार्य के एवज में रिश्वत के रूप में करोड़ों रुपए वसूल किया गया है।
नागेश्वर राव क्योंकि आंध्रप्रदेश का ही रहने वाला है इसलिए संजय भूसरेड्डी ने उसे अपने सिंडिकेट में काफी अहम स्थान दिया है
आखिर दक्षिण भारती को ही आबकारी आयुक्त क्यों बनाते हैं भूसरेड्डी
इसलिए ही गुरु प्रसाद को आबकारी आयुक्त के रूप में पसंद करते थे क्योंकि वह भी आंध्र प्रदेश के रहने वाले एवम भूसरेद्दी के सजातीय विश्वास पात्र थे।
जो भी गलत या सही भूसरेड्डी कह देते थे गुरु प्रसाद वही करते थे बदले में उन्हें तरह-तरह से उपकृत किया जाता रहा है।
इन सभी के संयोजन का कार्य एवम आर्थिक हिसाब किताब का जिम्मा अमित अग्रवाल का था क्योंकि शीरे के आवंटन का आदेश जारी प्रयागराज मुख्यालय से ही होता है।
विचलन समिति की बैठक में अन्य लोगों के प्रस्ताव पर या तो आपत्ति लग जाती थी या फिर बहुत थोड़ी मात्रा दे दी जाती थी, शेष सब नागेश्वर राव को भूसरेद्दी के इशारे पर अमित अग्रवाल के द्वारा वांछित औपचारिकता पूरी करवा कर दे दिया जाता था।
गुरु प्रसाद के हटने के बाद आबकारी आयुक्त बने ईमानदार अफसर रिजिज्ञान सेंफिल को भूसरेड्डी हजम नहीं कर सके और हटवा कर ही माने पुनः अपनी पसंद का दक्षिण भारतीय कमिश्नर लाए जिससे इनकी बेईमानी चलती रही और कुछ भी उजागर नहीं हुआ।
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