
लखनऊ। नियमावली में संशोधन कर संस्कृत भाषा के शिक्षकों के 1280 पदों पर सरकार ने जानबूझकर भर्तियां नहीं की।
हाईकोर्ट ने इस मामले में दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार निश्चित रूप से संस्कृत भाषा के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। सरकार लगातार संविदा पर संस्कृत अध्यापकों की भर्ती कर रही है लेकिन यह बताने में असमर्थ है कि आखिर नियमित रूप से संस्कृत अध्यापकों की भर्तियां क्यों नहीं हो रही है। राज्य सरकार ने अपनी सफाई में कहा कि 2013 के नियमावली में संशोधन करके संस्कृत भाषा के शिक्षकों का पद समाप्त हो गया है। हाई कोर्ट ने इस संबंध में अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए 21 फरवरी को सभी दस्तावेज तलब किए हैं।
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