
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पावर प्लांटों को केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से एक ताजा निर्देश प्राप्त हुआ है जिसमें कहा गया है कि अगर पावर प्लांट अपनी जरूरत का कम से कम 10% कोयला विदेशी वेंडरों से नहीं खरीदेंगे तो राष्ट्रीय खदानों से उनको की जा रही आपूर्ति में 40% तक कटौती कर दी जाएगी। केंद्र सरकार के इस फैसले से उत्तर प्रदेश की सरकारी बिजली कंपनियां हलकान है उनका मानना है कि ऐसा करने से बिजली महंगी हो जाएगी और कंपनियों पर कम से कम 3500 करोड़ का बोझ आ जाएगा।
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा हो रहा है घोटाला, जांच करे सीबीआई
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता परिषद ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है। परिषद ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है जिसमें कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से विदेशी कोयला व्यापारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने की बात कही है तथा इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है।
योगी ने बिजली कंपनियों से विदेशी कोयला खरीदने से मना किया था
इसके पहले बिजली कारखानों में कोयला संकट के दौरान विदेशी कंपनियों ने भारत में कोयला बेचने की कोशिश की थी लेकिन योगी आदित्यनाथ ने सख्त रुख दिखाते हुए बिजली कंपनियों से विदेशी कोयला नहीं खरीदने का निर्देश दिया था।
भारत में ₹3000 में मीट्रिक टन कोयला ऑस्ट्रेलिया में ₹18000 मीट्रिक टन मिल रहा है कोयला
यह बात समझ से परे है कि जब भारत की कोयला खदानों में अच्छी से अच्छी क्वालिटी का कोयला मात्र ₹3000 मेट्रिक टन में उपलब्ध है ऐसे में विदेशी कोयला खदानों से ₹18000 मेट्रिक टन कोयला खरीदने के लिए पावर प्लांट को क्यों मजबूर किया जा रहा है।
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