
लखनऊ। 21 तारीख को प्रयागराज में प्रधानमंत्री के होने वाली रैली में जिन बैंक सखियों को बुलाया गया है वह योगी सरकार से बेहद नाराज हैं। बैंक सखियों ने कहा कि उनके साथ अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह ने धोखा दिया है। बैंक सखियों ने आरोप लगाया कि उन्हें ₹75000 दिया गया जिसमें से ₹31000 की डिवाइस खरीदवाई गई। जबकि डिवाइस की कीमत ₹9000 से अधिक नहीं है। बैंक सखियों ने कहा कि ₹75000 पेटीएम एयरटेल एचडीएफसी जैसी बैंक में जमा करवाया गया। बैंक सखियों ने कहा कि गांव में बहुत से लोग जनसेवा केंद्रों के माध्यम से बैंक की सभी सेवाएं प्राप्त कर रहे हैं ऐसे में उनका कोई भविष्य नहीं है। सवाल उठता है रिजर्व बैंक बहुत से लोगों को मोबाइल बैंकिंग के सुविधाएं दे रही है और सहज जन सेवा केंद्र तथा बैंकों की टाइनी शाखा गांव गांव में है तो उन्हें भला कौन पूछेगा। बैंक सखियों ने यह भी आरोप लगाया है कि इस काम के लिए समूह के स्टार्टअप फंड का दुरुपयोग किया गया। बैंक सखियों और समूहों को कर्ज उदार बनाया गया
बैंक सखियों को ब्याज सहित लौटाना होगा कर्ज : अपर मुख्य सचिव
इस बीच अवध भूमि न्यूज़ से बात करते हुए अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह ने साफ कहा है कि ₹110000 की जवाबदेही बैंक सखियों की है उन्हें यह क़र्ज़ निर्धारित अवधि में लौट आना होगा ऐसा नहीं होता है तो समूह के सभी महिलाओं को उत्तरदाई बनाया जाएगा।
मांगने गई थी रोजगार बन गई कर्जदार:
स्वयं सहायता समूह की महिलाएं और बैंक सखियों को लगा कि उन्हें नौकरी या रोजगार मिल रहा है लेकिन अब वह स्वयं को ठगी हुई महसूस कर रही हैं। क्योंकि बैंकों ने महिलाओं पर अपना शिकंजा कस दिया है। महिलाएं परेशान है कि वह तो इसे रोजगार समझती थी लेकिन अपर मुख्य सचिव की साजिश ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा। अब ₹110000 कैसे लौटा सकेंगी इसको लेकर उनकी नींद उड़ी हुई है।
बिना टेंडर विजन इंडिया को कैसे मिले 1800 करोड़ रुपए का ठेका
बैंक सखियों को प्राप्त ₹110000 में से ₹ 310000 विजन इंडिया के खाते में ट्रांसफर करवाए गए जहां से उन्हें एक डिवाइस दिलाया गया यह डिवाइस खुले बाजार में मात्र ₹9000 का है जिसे बैंक सखियों को ₹31000 में खरीदने के लिए मजबूर किया गया। प्रत्येक बैंक सखियों से ₹75000 एयरटेल और पेटीएम के अकाउंट में ट्रांसफर करवाया गया। अब कहां जा रहा है कि बैंक सखियां महिलाओं के बैंक खातों से लेन-देन करके उससे मिलने वाले कमीशन से आजीविका प्राप्त कर सकती हैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं इस प्रकार के लेनदेन में विश्वास नहीं करती। मतलब साफ है कि लगभग 60,000 बैंक सखियां ठगी का शिकार हो गई है उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि इस भंवर जाल से बाहर कैसे आए।
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