
गोरखपुर। 1968 में इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑर्गेनाइजेशन यानी इफको द्वारा गोरखपुर में स्थापित खाद के कारखाने पर राजनीति तेज हो गई है। यह कारखाना 1968 में स्थापित हुआ और 1990 तक सुचारू रूप से चला। एक दुर्घटना के बाद यह खाद का कारखाना बंद करना पड़ा जिसे केंद्र में 2008 में कांग्रेस सरकार ने दोबारा चालू करने का प्रस्ताव रखा लेकिन तत्कालीन मायावती सरकार ने इस कारखाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। अब इसी कारखाने को रंग रोगन करके पुनः उद्घाटन किया जा रहा है लेकिन जब भाजपा नेताओं से पूछा गया कि जब इसका उद्घाटन 1968 में हो गया तो 2021 में उन्हें इसका उद्घाटन क्यों किया जा रहा है तो वह कोई जवाब नहीं दे पाए।
यूपीए-1 की सरकार ने इस दिशा में पहल करते हुए 30 अक्टूबर 2008 को कैबिनेट मीटिंग में एफसीआई के सभी पांच कारखानों और हिंदुस्तान उर्वरक निगम लिमिटेड के तीन कारखानों के पुनरूद्धार योजना की स्वीकृति दी.
इसके बाद यूपीए-2 सरकार ने 10 मई 2013 को एफसीआई ने इन्हें चलाने की दिशा में एक बड़ा निर्णय लेते हुए गोरखपुर सहित सभी पांच कारखानों पर कर्ज और ब्याज के कुल 10,644 करोड़ रुपये माफ कर दिया.
गोरखपुर खाद कारखाने को चलाने के लिए जरूरी था कि इसको प्राकृतिक गैस की उपलब्धता हो. इसके लिए तथा देश के अन्य कारखानों तक प्राकृतिक गैस पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने इसी वर्ष जगदीशपुर को भी जोड़ने का काम किया
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