
लखनऊ। सरकार अपनी उपलब्धियों को लेकर जनता के बीच जा रही है इसी बीच सीबीआई ने अपर मुख्य सचिव गृह से उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के पीएफ घोटाले में योगी सरकार के आईएएस आलोक कुमार अपर्णा यू और संजय अग्रवाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी है। इन अधिकारियों पर मनमाने ढंग से पावर कर्मचारियों के भविष्य निधि दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड में निवेश करने का आरोप है। बताया जा रहा है कि दीवाना हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड में नियमों को ताक पर रखकर निवेश किया गया।
सीबीआई ने करीब 18 महीने तक इस मामले की जांच की और निष्कर्ष पर पहुंची है कि उक्त अधिकारी इस घोटाले में शामिल है। सीबीआई ने 17ए के तहत कार्रवाई की मांग की है।
क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड में कार्यरत लगभग 45000 कर्मचारी और अधिकारियों का भविष्य निधि में दो हजार करोड़ रुपए की गड़बड़ी का आरोप लगा। पावर कारपोरेशन लिमिटेड ने इसकी जांच के लिए एक कमेटी बनाई। कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में आरोपों को सही पाया। इस बीच विद्युत कर्मचारियों ने मामले की जांच के लिए लंबा आंदोलन किया और इसकी जांच सीबीआई से कराने की मांग की लगभग 3 महीने तक आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने मामले को सीबीआई के हवाले कर दिया। सीबीआई ने 18 महीने तक जांच की और आरोपों को सही पाया जिसके बाद सीबीआई ने राज्य के अपर मुख्य सचिव गृह से यूपी पावर कारपोरेशन लिमिटेड में तैनात रहे तत्कालीन अधिकारियों आलोक कुमार अपर्णा यू और संजय अग्रवाल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने अनुमति मांगी।
टाइमिंग पर उठे सवाल
जब योगी सरकार चुनाव को लेकर कड़ी चुनौती का सामना कर रही है ऐसे में सीबीआई द्वारा इस घोटाले में योगी के करीबी आईएएस अधिकारियों पर कार्रवाई को लेकर तरह-तरह की अटकलें हैं। कहा जा रहा है कि मोदी और योगी के बीच में सब कुछ ठीक नहीं है। चुनाव से पहले ही योगी को बैकफुट पर लाने के लिए संभवत यह कार्रवाई हो रही है। यह कार्रवाई योगी के करीबी अधिकारियों के लिए एक संदेश भी है।
योजना के तहत दुर्गा प्रसाद मिश्रा को मुख्य सचिव बनाकर भेजा गया
दिल्ली में योगी सरकार को घेरने के लिए काफी पहले से ही तैयारियां की जा रही थी इसी योजना के तहत केंद्र सरकार ने रिटायरमेंट से महज कुछ दिन पहले ही केंद्र में डेपुटेशन पर तैनात दुर्गा प्रसाद मिश्रा को सेवा विस्तार देते हुए उत्तर प्रदेश का मुख्य सचिव नियुक्त कर दिया। जानकार बताते हैं कि यह सब एक रणनीति के तहत किया गया जिससे कि राज्य के मामले में योगी का हस्तक्षेप सीमित हो जाए।
चुनाव के दौरान इस घोटाले की चर्चा से हो सकता है भाजपा का नुकसान
योगी सरकार अपना दामन बेदाग साबित करने के लिए हजारों करोड़ रुपए मीडिया ब्रांडिंग पर फूक चुकी है ऐसे में केंद्र सरकार ने इस मामले की जांच के लिए राज्य सरकार को चिट्ठी लिखकर विपक्ष को बैठे बैठे एक बड़ा मुद्दा दे दिया है। यदि यह मामला तूल पकड़ता है तो भाजपा को बड़ा नुकसान भी हो सकता है क्योंकि भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की उसके दावे की कलई खुल जाएगी।
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