लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में भारी मात्रा में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए मंत्रियों और अधिकारियों का भारी-भरकम दल ब्राज़ील अमेरिका जर्मनी ब्रिटेन कनाडा और फ्रांस में भेजा लेकिन यह दल विदेशी निवेश को आकर्षित करने में सफल नहीं हो पाया। प्रदेश सरकार के विदेशी निवेश के दावे की पोल खुलने लगी है। प्रदेश सरकार ने विदेश से निवेश आकर्षित करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए हैं लेकिन सरकार के प्रयासों को फिलहाल कोई सफलता मिलते नहीं दिख रही है।
प्रदेश सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के नेतृत्व में अमेरिका में एक ऐसी यूनिवर्सिटी के साथ 35000 करोड़ रुपए के निवेश का एमओयू साइन किया गया है जो वजूद में ही नहीं है। ऑस्टिन यूनिवर्सिटी का लाइसेंस भी सरकार ने डिफाल्टर होने के कारण रद्द कर दिया। ऑस्टिन यूनिवर्सिटी से मिली जानकारी के मुताबिक इस यूनिवर्सिटी में इस समय एक भी छात्र अध्ययनरत नहीं है। यूनिवर्सिटी भी एक व्यावसायिक कांप्लेक्स के कुछ कमरे में चलाया जा रहा है। ऐसी यूनिवर्सिटी के साथ उत्तर प्रदेश सरकार ने 35 000 करोड़ रुपए का निवेश को लेकर समझौता किया है जिसकी अपनी खुद की जमीन नहीं है। खुद की बिल्डिंग नहीं है। किस यूनिवर्सिटी में कोई क्लास नहीं चलती और ना ही कोई छात्र है। कागज पर चलने वाली इस यूनिवर्सिटी के साथ हुई अमोली के मुताबिक प्रदेश सरकार यूनिवर्सिटी के लिए 50 एकड़ से अधिक जगह देना चाहती है और भी तमाम तरह की छूट देने का इरादा रखती है।
फर्जी यूनिवर्सिटी का पोल खुलने के बाद अब प्रदेश के अधिकारी सफाई दे रहे हैं कि समझौता ऑस्टिन यूनिवर्सिटी से नहीं बल्कि ऑस्टिन कंसलटेंसी से हुआ है लेकिन अधिकारियों के इस दावे की भी पोल खुल गई है क्योंकि एमओयू की जो कॉपी मीडिया के पास है उसमें ऑस्टिन कंसल्टेंसी के अलावा तथाकथित ऑस्टिन यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के भी हस्ताक्षर हैं। फिलहाल इस मुद्दे पर प्रदेश सरकार की काफी किरकिरी हो रही है और मुख्यमंत्री भी नाराज बताए जा रहे हैं।
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