नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन के 14 दिन बाद भी सीट बंटवारे को लेकर भाजपा खेमे में पूरी तरह सन्नाटा है। किसी प्रकार की कोई चर्चा भी नहीं हो रही है इसको लेकर अब जयंत चौधरी बेचैन बताए जा रहे हैं। इसके पहले खबर आ रही थी कि चौधरी अजीत सिंह अनावरण के लिए प्रधानमंत्री आएंगे लेकिन किसान आंदोलन के चलते बदले समीकरण के बाद भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन को लेकर होने वाले फायदे और नुकसान का आकलन करने लगी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान जिस तरह से आंदोलन में भागीदारी कर रहे हैं उससे भाजपा को यह लगने लगा है कि जयंत चौधरी और उनकी पार्टी का किसानों पर कोई खास असर नहीं है। भारतीय जनता पार्टी का यह भी मांगा है कि जो सीट जयंत चौधरी को दी जाएगी शायद वह भी ना जीत पाए। दुविधा में भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल दोनों है।
अभी आरएलडी और एनडीए गठबंधन का ऐलान नही: जयंत
इस बीच 17 फरवरी को राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख जयंत चौधरी अपने दादा चौधरी चरण सिंह के पैतृक गांव हापुड़ जनपद के नूरपुर मढैया पहुंचे और वहां पर लोगों से इस विषय पर चर्चा की। लोगों ने गठबंधन को लेकर उनसे सवाल पूछा जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि अभी आरएलडी और एनडीए गठबंधन का औपचारिक ऐलान नहीं हुआ है।
27 फरवरी यानी राज्यसभा चुनाव से पहले गठबंधन का ऐलान चाहते जयंत चौधरी
आरएलडी और भारतीय जनता पार्टी दोनों एक दूसरे को संदेह से देख रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि जयंत चौधरी चाहते हैं कि राज्यसभा चुनाव से पहले गठबंधन का ऐलान हो जाए जबकि भारतीय जनता पार्टी खेमे को लगता है कि आरएलडी के सभी विधायक जयंत चौधरी के साथ एकजुट नहीं है और वह राज्यसभा चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार को भी मतदान कर सकते हैं। जयंत चौधरी ने अब तक तीन बार विधायकों की बैठक बुलाई जिसमें सभी विधायक शामिल नहीं हुए। कुछ लोगों का तो यह भी कहना है कि जयंत चौधरी भी अपना पत्ता पूरी तरह शो नहीं कर रहे हैं। फिलहाल सब को अब 27 फरवरी का ही इंतजार है उसके बाद ही यह हो पाएगा कि यह गठबंधन बनेगा या नहीं।
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