लखनऊ। सरकार ने उत्तर प्रदेश में लाखों करोड़ों रुपए के पूंजी निवेश का दावा किया है लेकिन यह दावा कितना मजबूत है और कितना छलावा अब इसकी सच्चाई भी सामने आने लगी है।
मिली जानकारी के मुताबिक जिन उद्योगपतियों ने उत्तर प्रदेश में पूंजी निवेश का वादा किया है उनमें से ज्यादातर उद्योगपति उत्तर प्रदेश में कौड़ियों के भाव जमीन सस्ती बिजली टैक्स छूट के अलावा बैंकों से कुल लागत का आधे से ज्यादा लोन चाहते हैं। एमओयू के बाद बैंकों के ऊपर इस बात का दबाव है कि उत्तर प्रदेश में पूंजी निवेश करने वाले उद्योगपतियों को लोन दें जबकि बैंक इस बात से डरे हुए हैं कि यदि ऋण लेने वाले लोगों ने समय पर लोन नहीं चुकाया तो क्या होगा। बहुत से उद्योगपतियों के पास ऐसा कोई एसेट नहीं है जिस को बंधक बनाकर लोन दिया जा सके । लेकिन सरकार का दबाव है कि एमओयू करने वाले सभी उद्योगपतियों को उनकी जरूरत के हिसाब से बैंक लोन लेना सुनिश्चित करें।
अपनी नहीं बल्कि बैंक की पूंजी लगाना चाहते हैं उद्योगपति
उद्योगपति सरकार के दबाव में यूपी में निवेश तो करना चाह रहे हैं लेकिन यहां वह अपनी मूल पूंजी निवेश ना कर बैंक की पूंजी लगाना चाहते हैं। बिना गारंटी के बैंक लोन नहीं देना चाह रहे उन्हें यह लोन डूबने का खतरा सता रहा है। ऐसी स्थिति में यूपी में कुल कितना निवेश होगा इसको लेकर कहना फिलहाल अभी जल्दबाजी होगी।
आबकारी महकमे में 17000 करोड रुपए का निवेश प्रस्ताव किंतु सभी को चाहिए बैंक लोन
आबकारी महकमे के प्रमुख सचिव संजय आर भूसरेड्डी ने दावा किया है कि फ्रूट बेस्ड अल्कोहल यूनिट लगाने के लिए 17000 करोड रुपए पूंजी निवेश का प्रस्ताव है। पूंजी निवेश करने वाले ज्यादातर फर्म और कंपनियां बैंक से लोन चाहती हैं ऐसे में यह निवेश प्रस्ताव कितना फलीभूत होगा कहना मुश्किल है। बता दें कि निवेश प्रस्ताव के लिए देश-विदेश में चलाए गए अभियान पर अब तक उत्तर प्रदेश सरकार 300 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है।
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