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लखनऊ। आबकारी विभाग अपने ही बनाए जाल में फंस गया है। नई आबकारी नीति की घोषणा तो कर दी है लेकिन अब यही नीति उसके गले की फांस बन गई है। आबकारी विभाग की नई नीति के तहत बीयर और विदेशी मदिरा की कंपोजिट दुकानों का प्रावधान है। ऐसे में विभाग के सामने दुविधा या है कि कंपोजिट दुकान को एक दुकान माना जाए या बियर प्लस वाइन की दो दुकान मानी जाए। विभाग यदि कंपोजिट दुकान को एक दुकान मानेगा तो एक ही लाइसेंस निर्गत करना पड़ेगा ऐसे में करीब 6000 बियर की दुकान का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा यानी कुल 27600 दुकानों के व्यवस्थापन के बजाय कुल 21 हजार दुकान ही व्यवस्थापन के दायरे में आएगी। सीधे-सीधे 6000 दुकानों का लाइसेंस फीस तथा दुकानों की आवेदन फीस का सीधा-सीधा नुकसान होगा। बताया जा रहा है कि कंपोजिट दुकानों के प्रावधान के बावजूद बीयर और वाइन शॉप के लिए अलग-अलग लाइसेंस फीस का प्रावधान किया जा रहा है यदि ऐसा होगा तो आबकारी नीति ही फ्रॉड हो जाएगी। फिलहाल आबकारी महकमा बहुत ज्यादा परेशान है। आबकारी आयुक्त की समझ में नहीं आ रहा है कि दुकानों की संख्या का निर्धारण और व्यवस्थापन कैसे किया जाए। आबकारी विभाग के कुछ मुर्ख सलाहकारों ने आयुक्त से कहा है कि कंपोजिट दुकानों के प्रावधान के बावजूद दुकानों की संख्या न केवल जस की तस रखी जाय बल्कि दुकानों की संख्या ही बढ़ा दी जाए ।
देसी के साथ बीयर और विदेशी के साथ भी बियर की कंपोजिट दुकान का प्रावधान:
आबकारी विभाग के कलाकार देसी शराब के साथ बीयर और विदेशी मदिरा के साथ बियर की कंपोजिट दुकान के व्यवस्थापन की तैयारी में है यदि ऐसा होता है तो दुकानों की संख्या 40000 के आसपास हो सकती है। यह कैसे होगा आइए समझते हैं:
विभाग चाहता है कि जहां-जहां देसी शराब की दुकान है वहां एक और दुकान बियर की भी हो अर्थात कंपोजिट दुकान को एक मानने के बजाय दो दुकान माना जाएगा। ऐसे में दुकानों की संख्या बढ़ जाएगी जबकि पॉलिसी का प्रावधान यह था की दुकानों की संख्या सीमित हो। आबकारी विभाग इस दुविधा में है कि वह कंपोजिट दुकान को एक दुकान माने या फिर उसे दो दुकान माने अभी तक यही तय नहीं हो पाया है।
कंपोजिट दुकानों में हो सकता है माफियाओं का बोलबाला:
आबकारी विभाग के सामने एक बड़ी मुसीबत यहां भी है कि कंपोजिट दुकान की लाइसेंस फीस और आवेदन फीस अधिक होने के चलते सामान्य आय वर्ग के लोग इस व्यवसाय से बाहर हो जाएंगे और इस व्यवसाय में बड़े-बड़े शराब माफिया दाखिल हो जाएंगे। ऐसे में उत्तर प्रदेश शराब माफियाओं के चंगुल से जकड़ जाएगा। फिर आबकारी विभाग या सरकार यह दावा कैसे कर पाएगी उत्तर प्रदेश से शराब माफियाओं का सफाया हो गया। कहां जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के बाहर पंजाब हरियाणा तमिलनाडु और तेलंगाना और महाराष्ट्र के बड़े शराब कारोबारी कंपोजिट दुकानों पर कब्जा कर लेंगे। ऐसी चर्चा है कि परनार्ड ग्रुप रिटेल प्रीमियम और कंपोजिट दुकानों के लिए प्रयास कर रहा है। यदि ऐसा होता है तो यह रेडी को और वेब ग्रुप के लिए बहुत बड़े खतरे की घंटी है।
कंपोजिट दुकानों से राजस्व घटना का खतरा:
जानकारी बता रहे हैं कि कंपोजिट दुकानों से आबकारी विभाग का राजस्व कम से कम 20 से 30% कम हो सकता है। इस आशंका में दम नजर आ रहा है । ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि यदि कंपोजिट दुकान में बीयर और वाइन का कोटा यदि पूर्ववत रखा गया तो जो भी लाइसेंसी होगा उसके लिए बड़ी मुसीबत हो जाएगी। ऐसा इसलिए होगा क्योंकि कंपोजिट दुकानों पर पीने वालों के लिए चॉइस होगी ऐसे में वह बियर या वाइन में कोई एक ही चॉइस करेंगे जबकि बीयर और वाइन की सांप अलग होने पर पीने वालों के पास कोई चॉइस नहीं रहती थी वह बियर की दुकान पर केवल बियर ही पी सकते थे और वाइन की दुकान पर वाइन ले सकते थे ऐसे में दोनों दुकान अपने निर्धारित कोटे को पूरा करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाती थी यहां तक के उधारी देकर भी अपना कोटा पूरा करते थे अब ऐसा संभव नहीं है।
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