गोंडा के सहायक आबकारी आयुक्त और डिस्टलरी के सहायक आबकारी आयुक्त और निरीक्षक से मांगा गया स्पष्टीकरण:
डिप्टी साइज कमिश्नर आलोक कुमार भी सवालों के घेरे में:

गोंडा। डिस्टलरी से मिलकर किस तरह से हजारों लीटर ईएनए की चोरी करके तिजोरिया भरी जा रही हैं उसका ताजा उदाहरण गोंडा में देखने को मिला है। बताया जा रहा है कि 24000 लीटर ईएनए डिप्टी एक्साइज कमिश्नर आलोक कुमार के निरीक्षण के दौरान गायब मिला इसके बाद हड़कंप मच गया । आलोक कुमार ने अपने त्रैमासिक निरीक्षण रिपोर्ट में 24000 लीटर ईएनए खराब गुणवत्ता का पाए जाने की रिपोर्ट मुख्यालय भेजी लेकिन इसी रिपोर्ट में उनकी आख्या की पोल खुल गई। डिप्टी आलोक कुमार की रिपोर्ट पर सहायक आबकारी आयुक्त प्रगल्भ लवानिया को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया वही स्टार लाइट डिस्टलरी में तैनात सहायक आबकारी आयुक्त को भी नोटिस भेजा गया।
ईएनए चोरी के मामले में कई कहानियां सामने आ रही हैं। कुछ लोगों का कहना है कि वास्तव में ईएनए चोरी नहीं हुआ है बल्कि स्टार लाइट डिस्टलरी जिसका गोंडा में बॉटलिंग प्लांट है वहां कुछ कंपनियों ने गायब हुए इसी इथेनॉल को विदेशी मदिरा में इस्तेमाल कर लिया। सब्सिडी वाले इस एथेनॉल का इस्तेमाल केवल देसी शराब बनाने में ही किया जा सकता था ऐसे में एक साजिश के तहत इस एथेनॉल को खराब गुणवत्ता का बताकर करोड़ों के घोटाले को रखा दफा करने की कोशिश की गई। इस खेल में जिला आबकारी अधिकारी प्रगल्भ लवानिया डिप्टी साइज कमिश्नर आलोक कुमार और डिस्टलरी में तैनात सहायक आबकारी आयुक्त तथा इंस्पेक्टर भी शामिल बताये जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि स्टार लाइट डिस्टलरी पर सहायक आबकारी आयुक्त की विशेष मेहरबानियां है। यह भी जानकारी मिली है कि जनपद के सभी देसी शराब की गोदाम को केवल स्टार लाइट के ही देसी शराब का इंडेंट लगाने का लवानिया की ओर से विशेष दबाव होता है। कुछ लोग तो यहां भी चर्चा कर रहे हैं कि इस डिस्टलरी में उनकी भी भागीदारी है।
अपने ही जाल में फंस गए आलोक कुमार:
अपने त्रैमासिक निरीक्षण आख्या में गायब हुए हजारों लीटर एथेनॉल को खराब गुणवत्ता का बताकर जिस तरह मामले पर पर्दा डालने की आलोक कुमार ने कोशिश की उसमें वह खुद ही फसते नजर आ रहे हैं। दरअसल उन्होंने अपनी निरीक्षण आख्या में इथेनॉल की खराब गुणवत्ता का जिक्र किया है लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि यह खराब गुणवत्ता वाला एथेनॉल इस समय कहां है। वास्तव में उनके द्वारा बताया गया कथित तौर पर खराब गुणवत्ता वाला एथेनॉल पूरी तरह गायब है और यही इस घोटाले का क्लाइमेक्स है। सबसे बड़ी बात यह है कि डिस्टलरी में तमाम सीसीटीवी फुटेज है जिसमें उनके निरीक्षण की फुटेज भी नहीं है और जो खराब गुणवत्ता वाला हजारों लीटर एथेनॉल है इसका भंडारण कहां हुआ है वह भी नजर नहीं आ रहा है।
पुलिस जांच से बचने के लिए किया गया निरीक्षण का खेल
कहां जा रहा है कि इस मामले में डिस्टलरी पर दबाव बनाकर लंबी वसूली हुई है और आगे यह मामला चोरी का इसलिए नहीं बताया गया क्योंकि यदि चोरी का बताया जाता तो इसकी जांच पुलिस से कराई जाती और सारे खेल का पर्दाफाश हो जाता इसीलिए गायब हुए एथेनॉल को खराब गुणवत्ता का बताकर करोड़ों रुपए के एथेनॉल चोरी के प्रकरण पर पर्दा डाला जा रहा है जबकि वास्तव में इथेनॉल गायब नहीं हुआ है बल्कि उसको विदेशी मदिरा बनाने में इस्तेमाल कर लिया गया है और विभाग को कई करोड़ रुपए का चूना लगाया गया है।
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