नई दिल्ली। जिस बात की आशंका विपक्षी दल और देश के बुद्धिजीवी कर रहे थे आखिरकार वही हुआ। केंद्र सरकार ने राज्यसभा से चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर एक ऐसा विधेयक पास करवा लिया इसके बाद चुनाव आयोग की सारी बड़ी शक्तियां प्रधानमंत्री के हाथ में आ गई हैं। पास विधेयक के मुताबिक मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में प्रधानमंत्री की अहम भूमिका होगी। इतना ही प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में नियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ कोई भी अदालत सुनवाई नहीं कर सकती है। इस विधेयक को लेकर राज्यसभा में भारी हंगामा हुआ और विपक्ष ने वाक आउट भी किया लेकिन सरकार ने इसी बीच इस विधेयक को पारित करवा दिया।
माना जा रहा है कि केंद्र सरकार मिशन 2024 को लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। चुनाव में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयोग की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। अभी तक यह देखने में आया है कि सरकार के खिलाफ चुनाव आयोग का रवैया काफी नरम रहता है लेकिन सरकार इसके बावजूद चुनाव आयोग पर अपना शिकंजा मजबूत कर चुकी है और अब मुख्य चुनाव आयुक्त प्रधानमंत्री के प्रति जवाबदेह होंगे इसका मतलब है कि चुनाव पूरी तरह प्रधानमंत्री के नेता में आ गया है जोडी पक्ष के लिए किसी बड़े वज्रपात से कम नहीं है।
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