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लाखों कुंटल शीरे के गबन की आशंका:

कोविड काल मे  20 लाख कुंतल शीरा की हेराफेरी:

लखनऊ। कोविद-19 के शिखर पर यानी वित्तीय वर्ष 2020 में आबकारी महक में बहुत बड़ा मोलेशस घोटाला हुआ है। मिली जानकारी के मुताबिक आबकारी विभाग ने सैनिटाइजर उत्पाद के लिए कंपनियों को एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल उपलब्ध कराने के लिए रिजर्व कैटिगरी के मोलासेस से एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल बनाने की अनुमति दी। इसी आदेश के बाद बड़ा खेल हो गया। लॉर्ड्स सुपीरियर रेडिको और वेब जैसी बड़ी शराब कंपनियों ने रिजर्व कैटेगरी के मोलासेस से  करीब 40 करोड़ लीटर ईएनए तैयार किया इसमें से कुछ मात्रा सैनिटाइजर बनाने वाली कंपनियों को दिया और बाकी शराब बनाकर तस्करी के जरिए प्रदेश और प्रदेश के बाहर बेच दिया। बताया जा रहा है कि कम से कम 5000 करोड रुपए की शराब बेची गई। मजे की बात यह है कि सैनिटाइजर की आड़ में हुए इस भारी भरकम घपले में तत्कालीन प्रमुख सचिव संजय भूस रेड्डी तत्कालीन कमिश्नर पी गुरु प्रसाद तथा सेंथिल पांडियन सी की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।

हरिश्चंद्र श्रीवास्तव, जोगिंदर सिंह और ए के राय मास्टरमाइंड:

बताया जा रहा था कि इस समय ट्रैक एंड ट्रेंस सिस्टम की शुरुआत हुई थी और पी गुरु प्रसाद और तत्कालीन एडिशनल एक्साइज कमिश्नर लाइसेंस हरिश्चंद्र श्रीवास्तव तथा फर्जी जॉइंट डायरेक्टर स्टैटिसटिक्स जोगिंदर सिंह और जॉइंट टास्क फोर्स अरविंद कुमार राय लाखों कुंतल शीरार और हजारों करोड़ों रुपए की शराब तस्करी के मास्टरमाइंड बताया जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि एक साजिश के तहत मोंटेरा पोर्टल की एक्सिस आबकारी विभाग की ऑफिशल वेबसाइट के लिए तैयार की गई और उस समय के सभी उत्पादन और राजस्व के आंकड़े मंटोरा पोर्टल जो कि अवैध था इसी पर दर्ज हुए। असली खेल तो तब हुआ जब विभाग ने इस पोर्टल को अवैध मानते हुए सभी रिकार्ड को ओएसिस पोर्टल पर शेयर करने का निर्देश दिया।  मेंटरपोर्टल जो कि तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर हरिश्चंद्र श्रीवास्तव के रिश्तेदार अशोक श्रीवास्तव के स्वामित्व में था उसने कोई भी उस समय का रिकॉर्ड ओएसिस पोर्टल पर शेयर नहीं किया जबकि मैन्युअल कोई रिकार्ड तैयार नहीं किया गया था। अब हालात यह है कि आबकारी विभाग के पास फिलहाल वित्तीय वर्ष 2020 में डिस्टलरी को कुल कितना रिजर्व सिर जारी किया गया और कितना ईएनए प्राप्त किया गया का कोई आंकड़ा नहीं है। इस तरह लाखों कुंतल मोलासेस के घपले की आशंका व्यक्त की जा रही है। वास्तव में क्या हुआ यह तभी सामने आएगा जब आपकारी विभाग इसके पारदर्शी आंकड़े जारी करें।

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