अपने ही बुने जाल में फंस गए आलोक कुमार:
लखनऊ। गोंडा के स्टार लाइट ब्रुकेम डिस्टलरी से 27000 नहीं बल्कि 58000 लीटर ईएनए का घपला हुआ है लेकिन उप आबकारी आयुक्त आलोक कुमार ने मुख्यालय में जो निरीक्षण आख्या भेजी थी उसमें 27000 लीटर ईएनए गोदान के टैंक संख्या 13 से बह जाने की बात कही थी लेकिन टैंक के लीक होने और बहने का सीसीटीवी फुटेज नहीं मिला है जिससे इस बात की आशंका प्रबल हो गई है कि निरीक्षण में ही ईएनए तस्करी को छुपाने के लिए खेल किया गया है। आलोक कुमार की निरीक्षण रिपोर्ट इसलिए भी सवालों के घेरे में है क्योंकि उन्होंने 10 अक्टूबर 24 को डिस्टलरी की जो निरीक्षण रिपोर्ट भेजी है उसमें टैंक संख्या 13 से 27610 लीटर ईएनए लीक होकर बह जाने के बाद कही है लेकिन वही एक अन्य निरीक्षण रिपोर्ट जो 2 दिसंबर 2024 को आबकारी मुख्यालय को भेजा है उसमें उन्होंने 58000 लीटर ईएनए के गबन की बात कही है ऐसे में सवाल उठता है कि उन्होंने अपने पहले की निरीक्षण रिपोर्ट में इस तत्व को क्यों छुपाया था। कहा जा रहा है कि इस घपले का खुलासा तब हुआ जब मुख्यालय से अल्कोहल विभाग की ओर से डिस्टलरी द्वारा आयात किए गए
ईएनए का विवरण मांगा तब अपनी गर्दन फंसते देखकर आखिरकार आलोक कुमार को इस घपले का खुलासा करना ही पड़ा।
सहायक आबकारी आयुक्त की सूचना पर निरीक्षण को पहुंचे थे आलोक कुमार:
इस घोटाले में आलोक कुमार की भूमिका सवालों के घेरे में है बावजूद इसके वह अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। उनकी ही प्रारंभिक निरीक्षण रिपोर्ट जिसमें 27610 लीटर ईएनए टैंक संख्या 13 से लीक होने की जानकारी दी गई थी यह स्वयं स्टार लाइट डिस्टलरी में निरीक्षण के लिए तब पहुंचे जब यहां तैनात सहायक आबकारी आयुक्त आरपी चौहान ने आलोक कुमार को जानकारी दी की टैंक संख्या 13 लीक हो रहा है। निरीक्षण के दौरान आलोक कुमार ने 30 9.2024 से 10 अक्टूबर 2024 तक की सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित नहीं करवाया जिसकी वजह से इस घोटाले की जांच कर रहे विवेचक थाना अध्यक्ष निर्भय नारायण सिंह को भी दिक्कत आ रही है। उनका मानना है कि सारा खेल सहायक आबकारी आयुक्त गोंडा सहायक आबकारी आयुक्त स्टार लाइट और डिप्टी एक्साइज कमिश्नर का प्रतीत हो रहा है।
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