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संजय भूस रेड्डी और अंसल  ने मिलकर किया घोटाला:

लखनऊ।देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी अंसल ग्रुप के 600 करोड़ के घोटाले में रेरा प्रमुख और पूर्व प्रमुख सचिव संजय भूस रेड्डी का नाम भी सामने आ रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक अंसलग्रुप के साथ मिली भगत करके संजय भूस रेड्डी ने कई नॉन रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट को बेचे दिया और कोई कार्रवाई नहीं की। इतना ही नहीं रेरा प्रमुख के रूप में संजय भूस रेड्डी के सामने जो भी अंसल ग्रुप के खिलाफ शिकायतें आई उसमें लीपा पोती की गई और मनमाने ढंग से समझौता करने की कोशिश की गई। सूत्रों ने दावा किया है कि 3535 एकड़ जमीन जो रेरा में रजिस्टर्ड नहीं थी उसे पर प्लाटिंग करके बेचने की अनुमति असल को दे दी गई यह सब संजय भूस रेड्डी की जानकारी में हुआ।

LDA और रेरा पर क्यों उठे सवाल:
अंसल के दिवालिया होने के बाद करीब तीन हजार से ज्यादा निवेशकों के हजारों करोड़ रुपये फंस गए हैं। ऐसे में निवेशकों ने एलडीए और यूपी रेरा की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि एलडीए के अधिकारी गुपचुप तरीके से डिवेलपर के साथ मिलकर ले आउट बदलते रहे। इसकी शिकायत पर यूपी रेरा के अधिकारियों ने भी मनमानी पर लगाम नहीं लगाई।

निवेशकों का यह भी सवाल है कि जब प्रॉजेक्ट की करीब 200 एकड़ जमीन एलडीए के पास बंधक है तो महज 83 करोड़ रुपये के लिए इसे दिवालिया क्यों घोषत कर दिया? इस मामले में रेरा प्रमुख ने चुप्पी क्यों साधे रखी।

संजय भूस रेड्डी ने कैसे किया खे:

संजय भूस रेड्डी ने सेक्टर  H और सेक्टर J जो  रेरा में रजिस्टर्ड नहीं थे फिर भी संजय भूसा रेड्डी ने अंसल को  600 से अधिक प्लाट बेचने की अनुमति दे दी। इतना ही नहीं जब इसकी शिकायत संजय भूस रेड्डी से की गई तो अंसल ग्रुप के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करने के बजाय खरीदारों पर ही समझौता करने का दबाव बनाने लगे। नतीजा यह हुआ कि करीब 600 करोड़ का प्लांट अंसल ग्रुप बेचकर अपने आप को दिवालिया घोषित करके निकल गया और खरीदारों के पैसे फस गए। बड़ी मजे की बात यह है कि आंसर ग्रुप के खिलाफ तो कार्रवाई की जा रही है लेकिन इस घोटाले में उसके साझेदार संजय भूस रेड्डी को बचाने की पूरी कोशिश हो रही है। संजय भूसा रेड्डी ने आबकारी विभाग में भी इसी तरह नियमों की ऐसी की तैसी करते हुए आबकारी पॉलिसी को तहस-नहस करते हुए हजारों करोड़ों रुपए का घपला किया था लेकिन उसे पर शासन प्रशासन मेहरबान रहा और अब वह रेरा में प्रमुख बनकर बड़े-बड़े बिल्डर और माफिया से मिलकर खेल-खेल रहा है।

जानकारी मिली है कि संजय भूस रेड्डी ने अपने बेटे को रेरा में नामी गिरामी अधिकता गौरव मेहरोत्रा का जूनियर बना रखा है जिससे की  यदि कोई संजय भूस रेडी के खिलाफ अदालत में जाए तो मुफ्त में मुकदमा लड़ा जा सके।

पूर्व ईडी प्रमुख और भाजपा विधायक राजेश्वर सिंह भी सवालों के घेरे में:

जहाँ अंसल की परियोजना है वहाँ के विधायक राजेश्वर सिंह जी कल पीड़ितों से मिले उनसे भी प्रश्न है की वो ई डी में रहे हैं और तेज तर्रार अफ़सरों में हैं उन्हें यह नहीं पता था कि जब फ़रवरी २०२२ में यू पी रेरा ने अंसल अपि को निश्चित शर्तों के अधीन यू पी रेरा में रजिस्टर्ड एवं एलडीए में स्वीकृत परियोजनाओं में ही जहाँ मूलभूत सुवधाओं सड़क बिजली पानी का कंप्लीशन हो चुका हो वहीं क्रेता की रजिस्ट्री प्रतिबंधित शर्तों के अधीन की जाएगी ,परंतु up रेरा के मुखिया संजय भूसरेड्डी के अवैध संरक्षण में २०२२ से ही अपूर्ण एवं अनरजिस्टर्ड परियोजनाओं से H ,गोल्फकोर्स,J में प्रणव अंसल ६०० से ज़्यादा प्लाटों के बिक्री कर ६५० करोड़ से ज़्यादा पैसा ग्राहकों से लेकर फण्ड का डायवर्सन करते हुए सुनियोजित तरीके से आईआईएफएल से मात्र ८८ करोड़ का लोन डिफॉल्ट दिखाते हुए मिलीभगत करके अपने को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया को २५ फरवरी २०२५ को एनसीएलटी दिल्ली से करा लिया ।मा विधायक श्री राजेश्वर सिंह इन तथ्यों से ed में रहने के बावजूद क्यों नहीं संज्ञानित रहे

रेरा का दायित्व क्या है:

रेरा का दायित्व है कि अनरजिस्टर्ड परियोजना को १४ दिन की नोटिस देकर रजिस्टर्ड करायें और इस प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगायें कितु संजय भूसरेड्डी हाथ पर हाथ रखकर तमाशा देखते रहे और प्रणव अंसल फण्ड का डायवर्सन कर स्वयं को दिवालिया घोषित कर लिया।

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