शराब घोटाले के पर्यवेक्षक अधिकारियों पर नहीं होने दे रहे कार्रवाई
लखनऊ। 8 सितंबर 2023 को वर्तमान प्रमुख सचिव ने विशेष पत्र वाहक के माध्यम से एक गोपनीय पत्र आबकारी मुख्यालय को भेजा जिसमें सहारनपुर की टपरी सहकारी डिस्टलरी से अवैध रूप से शराब की निकासी और बिक्री वाले जनपदों के पर्यवेक्षक अधिकारियों पर क्या कार्रवाई हुई उसका विवरण मांगा। यह पत्र मुख्यालय में पहुंचते ही हड़कंप मच गया। बताया जा रहा है कि इस पत्र को तत्कालीन आबकारी आयुक्त सेंथिल पांडियन सी और तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर एक्साइज लाइसेंस हरिश्चंद्र श्रीवास्तव तथा जॉइंट एक्साइज कमिश्नर विजिलेंस जैनेंद्र उपाध्याय की मिली भगत से शिकायत पटेल देख रहे आबकारी निरीक्षक निरंकार देव पांडे आदि ने दबा लिया है जिस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। यह सब इसलिए हुआ है क्योंकि इस शराब घोटाले में खुद पूर्व प्रमुख सचिव संजय भुस रेड्डी भी पर्यवेक्षण अधिकारी के रूप में आरोपी हो सकते हैं।
शराब घोटाले की कुछ यूं रची गई थी साजिश:
कहां जा रहा है कि सहारनपुर की टपरी डिस्टलरी से अवैध शराब की निकासी और बिक्री के लिए पहले एक साजिश रची गई। सबसे पहले इस डिस्टलरी में तैनात आबकारी विभाग के सहायक आबकारी आयुक्त इंस्पेक्टर और सिपाहियों को हटा दिया गया। ऐसा इसलिए हुआ ताकि जो भी अवैध शराब इस डिस्टलरी से निकले उसका कोई गेट पास ना चेक किया जाए। यह खेल लगभग दो सालों तक चला और एक अनुमान के मुताबिक लगभग 200 करोड़ की शराब इस डिस्टलरी से बाहर बिना हिसाब किताब के बेची गई और यह रकम तत्कालीन कमिश्नर प्रमुख सचिव और कई बड़े अधिकारियों तक पहुंची। मामला अखबारों में सुर्खियां बनने के बाद संजय भूसरेड्डी के कहने पर डिस्टलरी में सबसे बाद में तैनात होने वाले इंस्पेक्टर को जिम्मेदार मानते हुए उसे सस्पेंड कर दिया गया लेकिन मामला तब पेचीदा हो गया जब इस शराब कांड के पर्यवेक्षक अधिकारियों की जवाब देही को लेकर शासन ने मुख्यालय से जवाब तलब कर लिया। संजय भूसरेड्डी के बारे में कहां जा रहा है कि टपरी शराब कांड से संबंधित महत्वपूर्ण पत्रावली अभी उनके कब्जे में है। वह नहीं चाहते कि इस मामले में पर्यवेक्षक अधिकारी पर कोई कार्रवाई हो क्योंकि अगर ऐसा होगा तो वह स्वयं इसकी चपेट में आ जाएंगे।
देखना है इस शराब घोटाले को कब तक दबाया जा सकता है।
संजय भूस रेड्डी पर मेहरबान आबकारी विभाग
जानकारी मिली है कि एक इनोवा गाड़ी ड्राइवर और एक सिपाही जो डिप्टी कार्मिक के नाम पर तैनात है इसका इस्तेमाल संजय भूसरेड्डी कर रहे हैं। यह भी जानकारी मिली है कि आबकारी आयुक्त और प्रमुख सचिव की जानकारी में पूर्व प्रमुख सचिव अवैध रूप से आबकारी विभाग के विभिन्न पत्रावलियों का निरीक्षण कर रहे हैं और विभाग के कुछ अधिकारियों के माध्यम से आबकारी विभाग की नीतियों को भी प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।
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