
नई दिल्ली। 2024 के आम चुनाव के लिए बीजेपी ने कई मोर्चों पर तैयारियां तेज कर दी हैं। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी ने मिशन 400 का लक्ष्य रखा है। इस लिहाज से पार्टी समाज के उन धड़ों को भी जोड़ने की कोशिशों में जुटी है, जो विपक्षी दलों के परंपरागत वोट बैंक रहे हैं। इसी कड़ी में बीजेपी ने अपनी नजरें अब पसमांदा मुस्लिमों पर गड़ाई हैं।
बीजेपी ने ऐसे 60 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान की है, जहां 30 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। इन सीटों पर बीजेपी ने पसमांदा मुस्लिमों यानी दलित-पिछड़े मुस्लिमों को अपने पाले में करने के लिए स्कूटर यात्रा से लेकर स्नेह सम्मेलन और व्यक्तिगत मुलाकात की बैठकें आयोजित करने की योजना बनाई है।
बदली रणनीति के तहत बीजेपी अब पसमांदा समुदाय के कुछ अहम चेहरों को सरकारों में अहम जिम्मेदारी दे रही है। इसी के तहत दानिश आज़ाद अंसारी को यूपी में अल्पसंख्यक कल्याण और वक्फ विभाग के राज्य मंत्री के रूप में प्रमुख पद दिया है। इनके अलावा यूपी अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष के रूप में अशफाक सैफी; और इफ्तिखार जावेद को यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन का चेयरमैन बनाया गया है।
बीजेपी ने दिल्ली नगर निगम चुनावों में भी पसमांदा कार्ड खेलने की कोशिश की थी लेकिन उसे उम्मीद के लिहाज से सफलता नहीं मिली। पार्टी इसने एमसीडी चुनाव में चार पसमांदा चेहरों को मैदान में उतारा था- चौहान बांगर से सबा गाजी, कुरेश नगर से शमीना रजा, मुस्तफाबाद से शबनम मलिक और चांदनी महल से इरफान मलिक को उम्मीदवार बनाया था लेकिन सभी उम्मीदवार हार गए। हालांकि, इस रणनीति ने भाजपा को राष्ट्रीय राजधानी के प्रमुख मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में पैर जमाने में मदद की है।
गौरतलब है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पसमांदा मुस्लिमों को साथ लेकर लंबे समय तक चुनाव जीतते रहे हैं। बिहार विधानसभा के 2005, 2010 के चुनावों में पसमांदा समाज ने उन्हें बड़ी जीत दिलाने में बड़ी मदद की थी।
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