
लखनऊ, 29 अक्टूबर 2025 | विशेष संवाददाता
उत्तर प्रदेश सरकार के आबकारी एवं गन्ना विकास विभाग की प्रमुख सचिव वीना कुमारी मीना (IAS, 1993 बैच) द्वारा वर्ष 2024 के लिए दाखिल की गई अचल संपत्ति विवरण रिपोर्ट (Annual Property Return – APR) में कई गंभीर कमी और विसंगतियाँ सामने आई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने राजस्थान और उत्तर प्रदेश में तीन संपत्तियों का विवरण दिया है, जिनमें से एक संपत्ति अपनी पुत्री के नाम गिफ्ट करने की बात दर्ज की गई है।
📄 एपीआर में दर्ज संपत्तियाँ
- जयपुर (राजस्थान) —
स्वपन लोक, सीकर रोड स्थित 486 वर्गमीटर का प्लॉट, जिसकी कीमत 11 लाख रुपये बताई गई है। यह संपत्ति उन्होंने 2006 में जयपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी से खरीदी थी। - लखनऊ (उत्तर प्रदेश) —
समियाह मेलरोज स्क्वायर, रायबरेली रोड स्थित फ्लैट, जिसकी कीमत 35 लाख रुपये बताई गई है। यह फ्लैट वर्ष 2012 में खरीदा गया था, जिसे उन्होंने 9 नवंबर 2024 को अपनी पुत्री अनुष्का सिंह को गिफ्ट डीड के माध्यम से हस्तांतरित कर दिया। - जयपुर (राजस्थान) —
मयापुरी, आगरा रोड स्थित 500 वर्गमीटर का प्लॉट, जो उन्हें उत्तराधिकार (Inheritance) में प्राप्त हुआ है। इस संपत्ति का वर्तमान मूल्य “Not Known” यानी अज्ञात बताया गया है।
⚠️ एपीआर में पाई गई प्रमुख कमियाँ
सिविल सेवा आचार नियमों (All India Services Conduct Rules, 1968) के अनुसार हर अधिकारी को अपनी सभी अचल संपत्तियों का विवरण, उनकी वर्तमान कीमत, स्रोत और अधिग्रहण की विधि स्पष्ट रूप से बतानी होती है। लेकिन वीना कुमारी मीना की रिपोर्ट में कई बिंदु नियमों के विपरीत या अपूर्ण हैं —
- तीसरी संपत्ति का मूल्य नहीं बताया गया, जबकि नियम 16(3) के अनुसार अनुमानित बाजार मूल्य दर्ज करना अनिवार्य है।
- लखनऊ वाले फ्लैट की खरीद का वित्तीय स्रोत (किस माध्यम से खरीदा गया — सैलरी, लोन या अन्य आय) स्पष्ट नहीं किया गया है।
- गिफ्ट ट्रांजैक्शन (बेटी को संपत्ति हस्तांतरण) के लिए आवश्यक पूर्व अनुमति या सूचना का कोई विवरण नहीं दिया गया।
- इनहेरिटेंस संपत्ति (उत्तराधिकार से प्राप्त) में यह उल्लेख नहीं है कि यह संपत्ति किस रिश्तेदार से, किस वर्ष और किस दस्तावेज़ के आधार पर प्राप्त हुई।
- सभी संपत्तियों की वार्षिक आय NIL दर्शाई गई है, जो संदेहास्पद है क्योंकि इन संपत्तियों से किराया या लाभ हो सकता है।
🧾 नियमों के उल्लंघन की संभावना
सेवा नियमों के अनुसार, IAS अधिकारियों को हर साल 1 जनवरी तक अपनी संपूर्ण अचल संपत्ति का विवरण प्रस्तुत करना होता है। यदि किसी संपत्ति की जानकारी अधूरी है, या मूल्य और स्रोत स्पष्ट नहीं हैं, तो यह Rule 3(1) (Integrity & Devotion to Duty) और Rule 16(3) के अंतर्गत अनुशासनिक उल्लंघन माना जा सकता है।
🔍 क्या हो सकती है कार्रवाई
प्रशासनिक विशेषज्ञों के अनुसार, इस रिपोर्ट के आधार पर निम्न स्तर की जांचें हो सकती हैं —
- प्रारंभिक जांच (Preliminary Inquiry) – कार्मिक विभाग या सामान्य प्रशासन विभाग यह सत्यापित कर सकता है कि संपत्तियों का विवरण पूर्ण और सही है या नहीं।
- विजिलेंस जांच (Vigilance Inquiry) – यदि कोई संपत्ति आय से अधिक प्रतीत होती है, तो इसे Disproportionate Assets Case के रूप में जांचा जा सकता है।
- अनुशासनात्मक कार्रवाई (Departmental Proceedings) – यदि जानकारी जानबूझकर छिपाई गई हो तो “Censure”, “Withholding of Promotion” या अन्य दंड दिए जा सकते हैं।
- आयकर विभाग द्वारा जांच (Income Tax Scrutiny) – संपत्ति हस्तांतरण, गिफ्ट डीड और भुगतान स्रोत की वैधता जांची जा सकती है।
🗣️ विशेषज्ञों की राय
सेवानिवृत्त IAS अधिकारी और प्रशासनिक विशेषज्ञों का कहना है कि “यदि किसी वरिष्ठ अधिकारी की संपत्ति विवरण रिपोर्ट में मूल्य या स्रोत अधूरा है, तो यह पारदर्शिता की भावना के विपरीत है। ऐसे मामलों की सतर्कता जांच अनिवार्य रूप से होनी चाहिए ताकि जनता का विश्वास बना रहे।”
🕵️♀️ निष्कर्ष
वीना कुमारी मीना की 2024 की एपीआर में दर्शाई गई संपत्तियाँ प्रशासनिक रूप से संदिग्ध नहीं कही जा सकतीं, लेकिन जानकारी का अपूर्ण या अस्पष्ट होना नियमों का उल्लंघन है। अब यह देखना होगा कि शासन इस पर क्या रुख अपनाता है —
क्या इसे मात्र “क्लेरिकल त्रुटि” माना जाएगा या फिर विजिलेंस विभाग से जांच कराई जाएगी?
📌 दस्तावेज़ तिथि: 16 जनवरी 2025
📍 अधिकारी का पद: प्रमुख सचिव, आबकारी एवं गन्ना विकास विभाग, उत्तर प्रदेश
🖊️ स्रोत: सरकारी रिकॉर्ड (एपीआर – वर्ष 2024)




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