नई दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने केंद्र सरकार पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा है कि सरकार ने पिछले 10 सालों में 150 लाख करोड़ का कर्ज लिया है लेकिन लोन की धनराशि कहां खर्च हुई उसका कोई हिसाब किताब नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में इस बात पर निराशा जताई की सार्वजनिक कंपनियों का निजीकरण करने के बावजूद सरकार का राजकोषीय घाटा कम होने का नाम नहीं ले रहा है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में आशंका जताई है कि यदि सरकार ने अपने खर्चे पर काबू नहीं किया तो वह भविष्य में कर्ज की किस्त अदा करने में असफल रह सकती है।
बता दे कि 2014 तक भारत में कुल विदेशी कर्ज मात्र 55 लाख करोड़ रूपया था जो मोदी सरकार के पिछले 9 साल के कार्यकाल में बढ़कर 205 लाख करोड़ रूपया हो गया। फिलहाल अगर प्रति व्यक्ति विदेशी कर्ज की बात करें तो इस समय प्रत्येक व्यक्ति पर लगभग 140000 करोड रुपए का विदेशी कर्ज है जो एशियाई देशों में सर्वाधिक माना जा रहा है।
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