सतर्कता अधिष्ठान सवालों के घेरे में:
प्रयागराज। बुलंदशहर और मेरठ में जहरीली शराब कांड में जहां तीन अधिकारी सस्पेंड हो गए वहीं इस पूरे मामले के मास्टरमाइंड वर्तमान में डिप्टी आबकारी आयुक्त देवीपाटन मंडल आलोक कुमार का बाल बांका भी नहीं हुआ जबकि मेरठ की जहरीली शराब कांड के दौरान आलोक कुमार ही मेरठ का जिला आबकारी अधिकारी था। बताया जा रहा है कि संजय भूसरेड्डी से अपनी नजदीकी के चलते न केवल पूरी कार्रवाई से बच गया बल्कि संजय भूसरेड्डी के पक्षपात और अराजक रवैया के चलते डिप्टी लाइसेंस जैसे अहम पद पर तैनाती भी मिल गई इसके बाद सतर्कता अधिष्ठान की पूरी जांच पर ही सवालिया निशान लग गए। 2021 में बुलंदशहर और मेरठ में चर्चित शराब कांड में कई लोगों की जान गई थी इस मामले में तत्कालीन डिप्टी मेरठ सुरेश पटेल के खिलाफ जहां विभागीय कार्रवाई प्रचलित है वहीं तत्कालीन ज्वाइंट मेरठ राजेश मणि त्रिपाठी को मुख्यालय से संबद्ध किया गया और उनके खिलाफ भी विजिलेंस जांच प्रचलित है जबकि उनकी पेंशन अनन्तिम रखी गई है। इसी तरह बुलंदशहर के जहरीली शराब कांड में तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी संजय त्रिपाठी पर भी विभाग की गाज गिराई गई और उन्हें सस्पेंड कर दिया गया।
संयुक्त आबकारी आयुक्त विजिलेंस जैनेंद्र उपाध्याय जहरीली शराब कांड से कैसे बचे:
इसी तरह वर्तमान में संयुक्त आबकारी आयुक्त विजिलेंस जैनेंद्र उपाध्याय जिनके समय में आगरा के डिप्टी रहते जहरीली शराब कांड में कई लोग मरे तथा लखनऊ में भी डिप्टी रहते जहरीली शराब कांड में मौत हुई लेकिन संजय भुस रेड्डी का नजदीकी होने के कारण सभी कार्रवाई से न केवल बच गए बल्कि पुरस्कार स्वरूप जैनेंद्र उपाध्याय को जॉइंट आबकारी आयुक्त विजिलेंस जैसा महत्वपूर्ण पद दे दिया। यह मामला यह बताने में पर्याप्त है कि आबकारी विभाग में आरोपी को खुलेआम बचा लिया जाता है बस उसके पास खर्च करने के लिए अकूत धनराशि होनी चाहिए। जैनेंद्र उपाध्याय ने क्लीन चिट मिलने के बाद तोहफे में पूर्व प्रमुख सचिव को लखनऊ के वृंदावन परियोजना में करोड़ों रुपए का एक फ्लैट उपहार स्वरूप दिया है जिसमें आप भी पूर्व प्रमुख सचिव रहते हैं।
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