पूर्व जॉइंट डायरेक्टर स्टैटिक जोगिंदर सिंह, कई पूर्व और वर्तमान एडिशनल कमिश्नर तथा पूर्व कमिश्नर और वर्तमान कमिश्नर की भूमिका सवालों के घेरे में:
लखनऊ। गोंडा स्थित नवाबगंज डिस्टलरी के वेयरहाउस से हजारों लीटर ईएनए चोरी की जांच पुलिस कर रही है इस बीच में इसी डिस्टलरी से शराब उत्पादन में हजारों करोड़ के घपले की आशंका जताई जा रही है। मिली जानकारी के मुताबिक स्टार लाइट डिस्टलरी द्वारा कई वर्षों से डिस्टलरी में उत्पादन होने वाले शराब की सैंपलिंग नहीं कराई जा रही है और इस संबंध में आबकारी महकमें के प्राविधिक विभाग द्वारा कभी इस डिस्टलरी को कोई नोटिस भी नहीं जारी की गई। यह भी दावा किया जा रहा है कि ईएनए चोरी का कनेक्शन शराब उत्पादन के आंकड़ों में पकड़ा जा सकता है।
जानकारी के मुताबिक फर्जी जॉइंट डायरेक्टर स्टैटिक के रूप में कार्यरत रहे जोगिंदर सिंह ने कभी भी डिस्टलरी के उत्पादन आंकड़े को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से जारी नहीं किया। सूत्रों ने दावा किया है कि डिस्टलरी द्वारा उत्पादन आंकड़ों में भारी हेरा फेरी की गई है। हेरा फेरी में पूर्व जॉइंट डायरेक्टर सांख्यिकी जोगिंदर सिंह पूर्व डिप्टी एक्साइज कमिश्नर देवीपाटन और वर्तमान संयुक्त आबकारी आयुक्त लखनऊ जोन दिलीप कुमार मणि त्रिपाठी, वर्तमान डिप्टी एक्साइज कमिश्नर आलोक कुमार, जिला आबकारी अधिकारी प्रगल्भ लवानिया तथा इस डिस्टलरी में तैनात सहायक आबकारी आयुक्त आर पी चौहान की भूमिका सवालों के घेरे में है।
शराब की सैंपलिंग न करवाने पर क्यों नहीं हुई कार्रवाई:
स्टार लाइट डिस्टलरी करीब 8 वर्षों से अपने किसी भी उत्पाद की सैंपलिंग नहीं करवा रही है इसके बावजूद प्राविधिक विभाग द्वारा डिस्टलरी को नोटिस नहीं जारी करना अपने आप में बड़े खेल की ओर इशारा करता है। बताया जा रहा है कि पूर्व प्राविधिक अधिकारी सभाजीत वर्मा के संरक्षण में स्टार लाइट डिस्टलरी गोरख धंधा करती रही हजारों लीटर ईएनए के सापेक्ष शराब उत्पादन के आंकड़ों में जमकर हेरा फेरी होती रही। इस खेल में जो भी अधिकारी शामिल रहे कभी भी उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। वर्तमान कमिश्नर ने आज तक इस बात का संज्ञान तक नहीं लिया है कि आखिर स्टार लाइट डिस्टलरी के शराब उत्पादों की सैंपलिंग विभाग के लैब में क्यों नहीं हुई। ऐसे में एक सवाल लिया है कि यदि इस डिस्टलरी के खराब गुणवत्ता वाले शराब से यदि लोगों की मौत हो गई तो जिम्मेदार कौन होगा।
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