लखनऊ। कोरोना के नाम पर 2020-21 में स्पेशल एडिशनल कंसीडरेशन फीस के माध्यम से अब तक हजारों करोड रुपए की अवैध वसूली हो चुकी है। यह वसूली अभी जारी है। मिली जानकारी के मुताबिक पूर्व प्रमुख सचिव संजय भूस रेड्डी के कथित आदेश पर यह वसूली शुरू हुई थी जो कोरोना काल की समाप्ति के बाद अभी तक जारी है।
नीचे दिए गए चलान हेड पर गौर करें तो इसमें पता चलता है कि स्पेशल फीस के नाम पर 18 रुपए और स्पेशल कंसीडरेशन फीस कोविड के नाम पर 500 ml से कम वाली प्रतिकेन या प्रति बोतल ₹10 वसूला जा रहा है। यह भी जानकारी मिली है कि 500 मिलीलीटर से अधिक की शराब की बोतल पर यह वसूली ₹20 निर्धारित की गई है। यह वसूली कोरोना के समय शुरू हुई थी जो कोरोना समाप्त होने के 2 साल बाद भी जारी है। अब तक स्पेशल कंसीडरेशन यानी कोविद के नाम पर हजारों करोड़ की अवैध वसूली हो चुकी है। वसूली को अवैध इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि आबकारी पॉलिसी में इस टैक्स के लिए कोई मंजूरी कैबिनेट से नहीं ली गई है।
वित्तीय वर्ष 2024 – 25 में भी जारी है वसूली:
सबसे बड़ा सवाल लिया है कि जब कोविद-19 को 2022 में ही समाप्त मान लिया गया तो फिर 2023 और 2024 में भी इस नाम पर वसूली क्यों चल रही है। यह भी बड़ा और अहम सवाल है कि तत्कालीन डिप्टी लाइसेंस आलोक कुमार ने कोविद-19 की समाप्ति के बाद भी विभिन्न ब्रांडों की एनुअल एमआरपी रजिस्ट्रेशन में स्पेशल एडिशनल कंसीडरेशन फीस यानी कॉविड टैक्स वाले कालम को क्यों मंजूर किया। सुनने में आया है कि इस मामले में बहुत बड़ा खेल हुआ है। एमआरपी पर स्पेशल एडिशनल कंसीडरेशन फीस यानी कॉविड-19 टैक्स की मंजूरी के बदले में करोड़ों का खेल हुआ है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि 2023 24 और 24 25 की आबकारी नीति में कोविद-19 टैक्स की मंजूरी कैसे दी गई जबकि केंद्र सरकार द्वारा कोरोना कल के समाप्त की घोषणा 2022 में ही कर दी गई।
नीचे विभाग द्वारा जारी एमआरपी स्लिप पर गौर करें इस ब्रांड पर ₹200 स्पेशल एडिशनल कंसीडरेशन फीस यानी कोविद के नाम पर हर बोतल पर वसूली हो रही है।
सबसे अहम सवाल यही है कि आबकारी नीति में कभी भी कोरोना टैक्स का कोई जिक्र ही नहीं आया है ऐसे में आलोक कुमार जो डिप्टी लाइसेंस के रूप में शराब फैक्ट्री को कॉविड-19 टैक्स अवैध रूप से वसूलने की मंजूरी किसके आदेश पर दी ।
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