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लखनऊ। प्रदेश के शराब माफियाओं को जो डिस्टलरी और गोदाम से जुड़े हुए हैं उन्हें आबकारी मुख्यालय में तैनात एक बड़े अधिकारी में नवंबर महीने में ही बता दिया था कि नई आबकारी नीति में लॉटरी आने वाली है इसीलिए डिस्टलरी और गोदाम दोनों ही एडवांस इंडेंट पर काम करने लगे और फुटकर लाइसेंसी को उधारी बंद कर दिए थे। वह अधिकारी इस समय रिटायर हो चुका है। आबकारी पॉलिसी की गोपनीयता आबकारी आयुक्त कार्यालय से और शासन में प्रमुख सचिव के कार्यालय से भंग हुई है। आप इस बात की पुष्टि हो गई है कि आबकारी विभाग में ज्यादातर अधिकारी शराब माफियाओं के प्रति वफादार हैं। फुटकर लाइसेंसी को इस बात का झांसा लगातार दिया जाता रहा कि फुटकर दुकानों का नवीनीकरण होगा जबकि वास्तविक जानकारी डिस्टलरी और गोदाम को दी गई और उन्हें बताया गया कि किसी भी कीमत पर दुकानों में नवीनीकरण नहीं होगा और अपनी उधारी की वसूली करो और एडवांस पेमेंट पर ही निकासी दो। यह बात समझ में नहीं आई की कोई भी गोदाम या डिक्शनरी एडवांस इंडेंट पर ही निकासी करें इसका सर्कुलर आबकारी विभाग ने क्यों जारी किया। तो इसका सीधा जवाब है कि आबकारी विभाग को गोदाम और डिस्टलरी के घाटे की बहुत ज्यादा चिंता थी। मतलब साफ है कि आबकारी आयुक्त कार्यालय और प्रमुख सचिव शासन शराब माफियाओं के अधीन है।
शराब माफिया इतने सशक्त है कि गोपनीय कैबिनेट नोटिस का पीडीएफ शासन से हासिल कर लिए और उसे वायरल कर दिए।
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