बैंक बीमा और आईटी सेक्टर की सभी कंपनियां हो रही कंगाल:

नष्ट हो गया है शेयर बाजार:
पिछले 6 महीने से शेयर बाजार लगातार नीचे आ रहा है। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज हो या नेशनल स्टॉक एक्सचेंज सभी जगह तबाही का आलम है। म्युचुअल फंड में निवेश करने वाले 65 लाख से ज्यादा लोगों ने अपना अकाउंट डीएक्टिवेट कर दिया है और करोड़ों लोग शेयर बाजार छोड़कर भागने की तैयारी में है। बाजार जानकारी के मुताबिक लगभग 19 करोड लोगों की पूंजी म्युचुअल फंड के शेयर में आधी रह गई है ऐसे निदेशकों का भारत सरकार और उसकी आर्थिक नीतियों पर भरोसा लगभग खत्म हो रहा है और वह अपना निवेश समाप्त कर रहे हैं। इसका असर बाजार पर कितना गंभीर होगा यह आने वाले 1 से 2 महीने में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। कोरोना काल मे म्युचुअल फंड के निवेशकों ने जो भी कमाई की थी पिछले एक वर्ष में वह लगभग गवा चुके हैं।
अर्थव्यवस्था अंतिम सांसें लेती हुई…
2024 के चुनाव के समय मोदी और अमित शाह ने कहा था कि रिजल्ट वाले दिन शेयर मार्केट में धूम धड़ाका होने वाला है। तब दोनों ने लोगों को इन्वेस्टमेंट करने के लिए कहा था। आज जबकि शेयर मार्केट लगातार गिर रहा है दोनों कही लापता हो गए हैं। शेयर मार्किट के 34 साल के इतिहास में यह तीसरा मौका है जब लगातार पांचवे महीने इतनी बड़ी गिरावट देखी जा रही है। 24 फरवरी को विदेशी निवेशकों ने लगभग 30 हजार करोड़ इंडिया के मार्केट से निकाले हैं। दो महीने में विदेशी निवेशक एक लाख 12 हजार करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। लोगों की क्रय शक्ति कम हो गई है। खपत घटने से जीडीपी की रफ्तार धीमी हो गई है। अर्थशास्त्री खपत बढ़ाने के लिए लगातार सुझाव दे रहे हैं लेकिन यहां भाषण वीर बना जा रहा है।
कोविड के पहले से अर्थव्यवस्था का भट्टा बैठा हुआ है। जबर्दस्ती हवा भरकर गुब्बारे की तरह फुलाया जा रहा है। प्रधानमंत्री के मित्र कागज़ों पर शेयर के दाम बढ़ा के मार्केट को कंट्रोल कर रहे हैं तभी तो हिंडनबर्ग जैसी एक रिपोर्ट से गुब्बारा फुस्स हो जाता है। मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया सब के हवा निकल चुके हैं। जबर्दस्ती कर्ज बांटा जा रहा है। हर बार बजट में कर्ज प्रकिया को सरल किया जा रहा ताकि लोग कर्ज लेकर व्यवसाय शुरू करे लेकिन कोई लेने को तैयार नहीं है। जिन्होंने पहले से ले रखा है वे इनस्टॉलमेंट नहीं भर पा रहे।
लोगों के पास पैसे नहीं है कि वे खरीदारी करें। थक हारकर टैक्स स्लैब बढ़ाया कि लोग खरीदारी करे लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि साल में ₹80 हजार की बचत (12.75 लाख तक के पैकेज पर) पर आखिर लोग कितनी खरीदारी कर सकेंगे ये जानते हुए कि नौकरियां लगातार सिकुड़ रही है। कंपनियां सैलरी नहीं बढ़ा रही है। हाल ये है कि दिल्ली एनसीआर की बड़ी-बड़ी कंपनियों के पास एम्प्लोयी को देने के लिए पैसे नहीं है। लोगों को 2-2 महीने से सैलरी नहीं मिली है। ऐसे में सालाना 80 हजार की बचत पर कोई कितना खर्च कर लेगा जिससे खपत बढ़ जाएगी? गुब्बारे की हवा निकल चुकी है। एक दिन में लोगों के 4.23 लाख करोड़ रुपये डूब चुके हैं।यह कोई मामूली रकम नहीं है बल्कि देश के साल भर के बजट का लगभग 9% है। एकदिन में इतने पैसे डूबने के बाद बाजार को स्थिर करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। रुपये डॉलर के मुकाबले लगातार गिर रहा है। विश्व में डंका बजाने वाले महागुरु के देश में हालत ये है कि अमेरिका में ट्रंप छींक भी दे रहा है तो इंडिया में लोगों के करोड़ो रूपये डूब जा रहे हैं और हालत सुधरने की बजाए लगातार खराब हो रहे हैं…
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