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एयरटेल और स्टार लिंक के समझौते से भारत की संप्रभुता ही खतरे में:

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी दौरे के बाद जो समझौते हुए हैं उसके मुताबिक जहां अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर टैरिफ दोगुना कर दिया है वहीं भारत को अमेरिका से निर्यात होने वाले उत्पादों पर 150 प्रतिशत से घटकर 15% करने को मजबूर कर दिया। अमेरिका से फ्री ट्रेड का सबसे बड़ा असर भारत के किसानों पर पड़ने वाला है यहां पर अमेरिकी अनाज फल दूध और डेयरी प्रोडक्ट की फ्री ट्रेड के बाद भारत की खेती किसानी चौपट होना निश्चित है। देश में खेती पर लागत पहले से ही बढ़ी हुई है ऐसे में यदि भारत के किसान बाजार को दुनिया के मुक्त बाजार के लिए खोल दिया गया तो किसानों की तबाही कौन रोक सकता है। अमेरिका एक तरफ जहां अपनी खेती और किसान को सब्सिडी देता है वही वह भारत को अपने काश्तकारों को सब्सिडी देने से रोक रहा है अफसोस की बात है कि सरकार अमेरिका के सामने झुक गई है और फ्री ट्रेड समझौते को मान लिया है। यहां सबसे बड़ी बात यह है कि हमारी सब्जी और अनाज को अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता प्राप्त नहीं है ऐसे में हमें बाजार में बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा जबकि अमेरिका और यूरोप के देश हमारे बाजार पर फ्री ट्रेड होने की वजह से कब्जा कर लेंगे।

स्टरलिंक और एयरटेल का समझौता राष्ट्रीय संप्रभुता के लिए गंभीर खतरा:

प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे पर जो सबसे खतरनाक समझौता हुआ है वह स्टरलिंक और एयरटेल का समझौता है। समझौते के मुताबिक पूरे देश में एयरटेल से मिलकर स्टार लिंक सैटेलाइट नेटवर्क उपलब्ध कराएगी। यह समझौता दो वजह से काफी खतरनाक और चिंता जनक है। पहली बात तो यह कि ब्रॉडबैंड सेवाएं पूरी तरह समाप्त कर दी जाएगी मतलब यह कि देश में इंटरनेट सेवा का कोई और विकल्प नहीं रहेगा। और दूसरी बात चिंता वाली यह है कि सभी कस्टमर को यह सेवा प्राप्त करने के लिए भारी भरकम निवेश करना होगा। बताया जा रहा है कि स्टरलिंक और एयरटेल की सैटलाइट इंटरनेट सेवा लेने के लिए एक सेटअप स्थापित करना पड़ेगा जिस पर काम से कम 75000 तक खर्च आएगा इसके अलावा मंथली टैरिफ भी 10 से 12000 रुपए हो सकता है।

स्टरलिंक और एयरटेल की इंटरनेट सर्विस देश के लिए खतरनाक क्यों:

सबसे बड़ी बात यह है कि डोनाल्ड ट्रंप के दबाव में एयरटेल और स्टरलिंक की सैटेलाइट नेटवर्क की  मंजूरी दी गई है। स्टरलिंक कितना खतरनाक है यह उस समय देखने में आया जब रस से युद्ध के दौरान यूक्रेन ने इंटरनेट की सभी वैकल्पिक सेवाओं को समाप्त कर पूरा डिजिटल नेटवर्क स्टार लिंक के हवाले कर दिया। अब स्टार लिंक के माध्यम से ही अमेरिका यूक्रेन को ब्लैकमेल कर रहा है और कह रहा है कि यदि यूक्रेन उसकी बात नहीं मानेगा तो उसका डिजिटल नेटवर्क डिस्कनेक्ट कर दिया जाएगा अर्थात यूक्रेन की तमाम डिफेंस सर्विसेज और मिसाइल तथा ड्रोन सर जो की स्टरलिंक नेटवर्क से ही संबंधित है वह निष्क्रिय और बेजान हो जाएंगे इस तरह से बिना युद्ध के ही यूक्रेन को सरेंडर कर देना पड़ेगा। अब यही खतरा भारत के लिए भी पैदा हो जाएगा क्योंकि समझौते के मुताबिक भारत में कोई भी वैकल्पिक नेटवर्क सर्विस नहीं होगी और सब कुछ अमेरिका और एलन मस्क के स्वामित्व वाले स्टार लिंक के हवाले हो जाएगा ऐसे में अगर कभी भारत को किसी बड़े युद्ध में जाना पड़ा तो वह यूक्रेन की तरह ही दगाबाजी कर सकता है और यदि ऐसा हुआ तो भारत की तबाही तय है।

चीन का सैटेलाइट नेटवर्क ज्यादा किफायती:

जानकारों का मानना है कि स्टार लिंक के मुकाबले चीन का सैटेलाइट नेटवर्क वाला इंटरनेट ज्यादा सस्ता और तेज है। यह भी कहा जा रहा है कि चीन का सैटेलाइट नेटवर्क 6G सर्विस प्रोवाइड कर रहा है और स्टार लिंक के मुकाबले 50 गुना अधिक स्पीड रखता है ऐसे में स्टार लिंक के साथ एयरटेल का समझौता समझ से परे है। पड़ोस में सबसे बड़ा खतरा हमें चीन से ही है ऐसे में हमें चीन से अधिक शक्तिशाली सैटेलाइट नेटवर्क की जरूरत थी लेकिन अमेरिका के दबाव में हमें मजबूरी में यह समझौता करना पड़ रहा है जिससे लग रहा है कि हमारी संप्रभुता और स्वायत्त अब कागज पर ही रह गई है।

F35 खरीद का दबाव:

अमेरिका ने अपना वह f35 फाइटर प्लेन बेचने का दबाव बना रखा है जिसको रूस के साथ युद्ध में यूक्रेन ने लेने से इनकार कर दिया था। यूक्रेन का मानना है कि बड़े युद्ध में f35 अब रिटायर करने योग्य है। खुद एलन मस्क ने इसे उड़ता हुआ ताबूत बताया था। ऐसे में सवाल उठता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे पर इस फाइटर प्लेन को खरीदने पर बातचीत क्यों शुरू करनी पड़ी क्या इसके लिए डोनाल्ड ट्रंप ने दबाव बना रखा है। तमाम सवाल ऐसे हैं जो भारत को चिंतित करने वाले और मुश्किल में डालने वाले हैं।

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