राज्य संयुक्त कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर सभी पोस्टिंग की जांच की मांग की:

प्रेस विज्ञप्ति
उत्तर प्रदेश में तबादला एक्सप्रेस पटरी से उतर गई है
मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव कार्मिक द्वारा निर्गत स्थानांतरण नीति की उड़ाई गई धज्जियां
ऑनलाइन बेस्ड ट्रांसफर किया गया दरकिनार
कई विभागों के प्रमुख सचिवों ने स्थानांतरण सत्र -0 करने का लिया निर्णय
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र
तबादला नीति की समीक्षा करते हुए जांच करने तथा दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग
लखनऊ 20, जून
प्रदेश की तबदला एक्सप्रेस बेपटरी हो गई है। निबंधन, होम्योपैथी, बेसिक शिक्षा, स्वास्थ्य, वन, पशुधन, शिक्षा, स्टांप रजिस्ट्रेशन ,कृषि सहित दर्जन भर से अधिक विभागों में अब तक 1000 से अधिक स्थानांतरण निरस्त करते हुए स्थानांतरण सत्र को शून्य घोषित किया जा चुका है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जी एन तिवारी न एक प्रेस विज्ञापन अवगत कराया है कि 6 मई 2025 को मुख्य सचिव द्वारा जारी की गई स्थानांतरण नीति में पारदर्शिता के बड़े-बड़े दावे किए गए थे। ऑनलाइन बेस्ड ट्रांसफर को पारदर्शिता का मानक बनाते हुए सभी स्थानांतरण पारदर्शिता के साथ 15 जून तक पूरा करने के निर्देश जा जारी किए गए थे। प्रमुख सचिव कार्मिक ने स्थानांतरण नीति को पारदर्शी बनाने के लिए नीति विषयक शासनादेश में प्रतिबंधों का उल्लेख किया था। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि कर निबंधन विभाग, जो प्रमुख सचिव कार्मिक के ही पास है उनके विभाग में ही स्थानांतरण में भारी गड़बड़ी सामने आई है। फल स्वरुप निबंधन विभाग के सभी स्थानांतरण मुख्यमंत्री जी को निरस्त करने पड़े हैं। खाद्य रसद विभाग में नीति की धज्जियां उड़ाते हए संगठनों के पदाधिकारियों के मनमानी स्थानांतरण किए गए हैं । यहां तक कि संगठनों द्वारा संगठनों के पदाधिकारियों की उपलब्ध कराई गई सूची का संज्ञान नहीं लिया गया है। निजी अनुरोध के स्थानांतरणों का संज्ञान नहीं लिया गया है। स्थानांतरण में भारी पैमाने पर लेनदेन के आरोप लग रहे हैं ।स्वास्थ्य विभाग के मंत्री ने अपने विभाग से संबंधित स्थानांतरण रद्द कर दिए है । होम्योपैथी, बेसिक शिक्षा, स्वास्थ्य, आयुष, पशुधन, वन, शिक्षा, स्टैंप रजिस्ट्रेशन, कृषि जैसे विभागों मे भी स्थानांतरण गड़बड़ी के चलते स्थानांतरण सत्र शून्य कर दिया गया है। 12- 15 वर्षों से सभी विभागों एक ही स्थान पर जमे कर्मी यथावत बने हुए हैं, जबकि उनसे कम वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों को हटाया गया है। प्रदेश में स्थानांतरण एक बार फिर उद्योग का रूप लेता नजर आ रहा है। विगत वर्षों में मुख्यमंत्री जी ने स्थानांतरण को पारदर्शी बनाने का प्रयास किया था लेकिन इस बार फिर से विभागों में जमकर उगाही एवं मनमानी हुई है। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद स्थानांतरण के मामले में आमतौर पर हस्तक्षेप नहीं करती है लेकिन इस बार दर्जनों विभागों में स्थानांतरण नीति की धज्जियां उड़ाई जाने पर संयुक्त परिषद भी अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकती है
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी ने मुख्यमंत्री के e पोर्टल पर पत्र लिखकर स्थानांतरण में की गई गड़बड़ियों की जांच करने तथा दोषी अधिकारियों के प्रति सख्त कार्रवाई करने की मांग किया हैl
स्थानांतरण में प्रदर्शित छिन्न-भिन्न न होने पर प्रमुख सचिव कार्मिक पर भी प्रश्न उठता है इसकी भी जांच किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि धार्मिक विभाग परामर्शी विभाग है और परामर्शी विभाग का उत्तरदायित्व सबसे अधिक होता है प्रमुख सचिव कार्मिक का विभिन्न विभागों पर नियंत्रण कमजोर पड़ता हुआ दिखाई पड़ रहा है।
जे एन तिवारी
अध्यक्ष
More Stories
पूर्व सीबीआई प्रमुख ने प्रधानमंत्री पर उठाए सवाल:
अखिलेश यादव ने उठाया आबकारी समेत कई विभागों में ट्रांसफर पोस्टिंग में धांधली का मुद्दा:
सैनिक बंधु की मासिक बैठक संपन्न: