
नई दिल्ली। सितंबर में 75 वर्ष की उम्र पूर्ण करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर रिटायरमेंट का दबाव संघ की ओर से बढ़ा दिया गया है लेकिन प्रधानमंत्री की ओर से पद छोड़ने के अभी कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं। कल यानी 28 जून को इस संबंध में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा की समन्वय बैठक हुई जिसका कोई नतीजा नहीं निकला।
आखिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और प्रधानमंत्री के बीच किस बात को लेकर टकराव हो रहा है। इस संबंध में भरोसेमंद सूत्रों से जानकारी मिली है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना वर्तमान कार्यकाल यानी 2029 तक निर्विघ्न पद पर बने रहना चाहते हैं फिलहाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बने हुए उस नियम का हवाला देकर पद छोड़ने का दबाव बनाया है जिसमें यह व्यवस्था की गई है कि 75 वर्ष की उम्र पूर्ण करते ही पार्टी और सरकार के सभी पदों से हटना पड़ेगा। इसी नियम का हवाला देकर वेंकैया नायडू और मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ नेताओं को पार्टी संगठन से मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया गया अब यही कानून नरेंद्र मोदी को डरा रहा है क्योंकि सितंबर महीने में ही वह 75 वर्ष पूर्ण करने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वफादार जेपी नड्डा चाहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के लिए इस नियम को उनके लिए शिथिल किया जाए जिस पर स्वयंसेवक संघ तैयार नहीं है। पिछले 6 महीने से 2029 तक अपने कार्यकाल को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मंजूरी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में उन्हीं के बनाए नियम को सख्ती से लागू करने का दबाव बना दिया है ।
प्रधानमंत्री मोदी का दूसरा दांव:
75 वर्ष की उम्र पूर्ण करने के बाद रिटायरमेंट के बढ़ते दबाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लिए रायसीना हिल यानी राष्ट्रपति भवन की मांग की है अर्थात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से स्पष्ट आश्वासन चाहते हैं कि 2026 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए उन्हें चेहरा बनाया जाए। फिलहाल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस मामले में चुप्पी साध ली है । इधर कुछ जानकारी का मानना है कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उन्हें राष्ट्रपति बनाने की मांग मान ली गई तो वह सरकार पर हावी हो जाएंगे और राष्ट्रपति भवन से सरकार चलाएंगे। यही वजह है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ उन्हें हर तरह के पद से रिटायर करना चाहती है जिसके लिए फिलहाल प्रधानमंत्री मोदी तैयार नहीं दिखाई दे रहे हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और प्रधानमंत्री मोदी के बीच टकराव का साइड इफेक्ट या हुआ है कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भी लटका हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी को लगता है कि यदि राष्ट्रीय अध्यक्ष संघ की पसंद का हुआ तो कभी भी संसदीय दल की बैठक बुलाकर लोकसभा में पार्टी का नेता चुनने का दबाव बना सकता है और अभी तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी संसदीय दल के नेता नहीं बने हैं ऐसे में 242 सांसदों में अपने लिए बहुमत जुटाना भी प्रधानमंत्री के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है। कहा तो यह भी जा रहा है कि करीब 80 सांसद संघ की पृष्ठभूमि वाले हैं और संघ के साथ खड़े हैं।
कुल मिलाकर जुलाई का महीना भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बीच भीषण घमासान का है दोनों खेमों में पूरी तैयारी चल रही है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद और प्रधानमंत्री पद के लिए आर पार की लड़ाई लड़ने के मूड में है।
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