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कमिश्नर की टेक्निकल मजबूरी, पस्त हुए निवेशकों के हौसले:

लखनऊ। विभागीय मंत्री नितिन अग्रवाल की पूरी कोशिश के बाद आज आबकारी विभाग के निवेशकों का सम्मेलन इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में हो रहा है। विभाग को हजारों करोड़ के निवेश के उम्मीद है। विभाग में तकनीकी में तैनात एक लिपिक अनिल यादव और अवैध रूप से तैनात इस नॉन टेक्निकल सहायक आबकारी आयुक्त संदीप मॉडवेल की वसूली और शोषण के चलते कई निवेशक अपने प्रस्ताव पर आगे नहीं बढ़ रहे हैं। निवेशकों के सामने सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि आबकारी विभाग के तकनीकी प्रभारी अधिकारी नॉन टेक्निकल है इसीलिए उनकी अयोग्यता की वजह से डिस्टलर की निवेश पत्रावली को तकनीकी मंजूरी समय से नहीं मिल पा रही है इसके अलावा अवैध वसूली के चलते  कई इन्वेस्टर परेशान हो चुके हैं। मुजफ्फरनगर की एक वायनरी संचालक को तकनीकी विभाग द्वारा इतना परेशान किया गया कि उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय को शिकायत करनी पड़ी और मुख्यमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद किसी तरह उनका लाइसेंस जारी किया गया। आज भी तकनीकी विभाग इस बाइनरी के संचालक को तरह-तरह से परेशान कर रहा है परेशान करने वालों में प्रमुख नाम अनिल यादव का है जो तकनीकी में अवैध रूप से नियुक्त सन्दीप मोडवेल के लिए खुलेआम वसूली करता है और इसकी शिकायत विभागीय मंत्री नितिन अग्रवाल तक गई। मंत्री ने इसे तुरंत हटाने के लिए कमिश्नर को निर्देशित किया था लेकिन लगता है कि इस बाबू और फर्जी तकनीकी प्रभारी अधिकारी से कमिश्नर का खास लगाव है। हाल फिलहाल तकनीकी विभाग की वजह से पुराने डिस्टलर नए निवेश नहीं कर रहे जबकि नए निवेशक महज खाना पूरी तक ही सीमित है।

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