
प्रयागराज। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिला आबकारी अधिकारी कार्यालय में तैनात रहा रामकुमार सोनकर डिप्टी कार्यालय मुंडेरा से अटैच था तो वह लाइसेंसी की सिक्योरिटी रिलीज करने का डील कैसे कर रहा था। दूसरा और अहम सवाल यह है कि वह पैसा जो वसूल रहा था वह अपने लिए वसूल रहा था या अपने उच्च अधिकारियों के लिए वसूल रहा था। जानकारी मिली है कि रामकुमार सोनकर खुलेआम वसूली करता था और अपने उच्च अधिकारियों की जानकारी में वसूली करता था वह अपने उच्च अधिकारियों का लाडला था। बताया तो यहां तक जा रहा है कि एक बार उसकी वसूली का एक वीडियो बना लिया गया था जो उच्च अधिकारियों के दबाव में डिलीट कराया गया। अब यह भी चर्चा होने लगी है कि जो धनराशि रामकुमार सोनकर वसूली करता था उसके तीन हिस्से होते थे और यह उच्च अधिकारियों में बांटा जाता था बदले में उसको भरपूर प्रोडक्शन भी मिलता था।
इसी तरह वसूली के आरोप कार्मिक में तैनात प्रसेन रॉय जो 15 वर्षों से एसीपी का पटल देख रहा है वह आबकारी आयुक्त का करीबी बताया जाता है और उनकी कृपा से ही ट्रांसफर पॉलिसी से मुक्त है। इसके अलावा तकनीकी विभाग में सहायक अनिल यादव के बारे में भी रामकुमार जैसी ही खबरें हैं। बताया जाता है कि आबकारी विभाग में किसी पत्रावली को तकनीकी मंजूरी तब तक नहीं मिलती जब तक अनिल यादव को चढ़ावा नहीं मिल जाता चर्चा तो यहां तक है कि अनिल यादव अपने उच्च अधिकारियों के नाम पर भी वसूली करता है। वसूली की बातें इसलिए सच है क्योंकि तकनीकी विभाग में कई पत्रावली की मंजूरी नियमों के विपरीत मिली है अगर इसकी जांच हो तो कई अधिकारी जेल की हवा खाएंगे। फिलहाल आबकारी विभाग में जिस तरह से एंटी करप्शन ब्यूरो पहले सहारनपुर और अब डिप्टी कार्यालय प्रयागराज में रिश्वत की रकम लेते रंगे हाथ दबोच लिया है उससे आबकारी आयुक्त के उसे दावे की हवा निकल गई है जिसमें वह अक्सर निष्पक्षता पारदर्शिता और ईमानदारी का दावा ठोकते हैं।
More Stories
जिला आबकारी अधिकारी कार्यालय प्रयागराज का कनिष्ठ सहायक 13000 रुपए की रिश्वत के साथ गिरफ्तार:
अपना दल (s) नेता ने उठाया डॉक्टर सोनेलाल मेडिकल कॉलेज की बदहाली का मुद्दा:
75 साल की उम्र पूरी होते ही दूसरे को मौका दो: