
अवध भूमि न्यूज़ के खिलाफ साजिश का खुलासा, आबकारी निरीक्षक चुनाव में बना मुद्दा
प्रयागराज। आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर लगातार खुलासे कर रही अवध भूमि न्यूज़ के खिलाफ अब एक सुनियोजित साजिश सामने आई है। प्रयागराज में तैनात आबकारी निरीक्षक शैलेंद्र तिवारी की एक व्हाट्सएप चैट वायरल हुई है, जिसमें उन्होंने विभागाध्यक्ष और वरिष्ठ अधिकारियों के प्रति अपनी “वफादारी” दिखाते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अवध भूमि न्यूज़ के खिलाफ कार्रवाई कराना उनका एजेंडा है।
14 सितंबर को आबकारी निरीक्षकों का प्रदेश स्तरीय चुनाव होने जा रहा है और इस चुनाव में भी अवध भूमि न्यूज़ के खिलाफ संघर्ष को मुद्दा बनाया जा रहा है। वायरल संदेश में शैलेंद्र तिवारी न केवल विभागाध्यक्ष की छवि बचाने की बात कर रहे हैं बल्कि अवध भूमि न्यूज़ पर ब्लैकमेलिंग और असत्य समाचार प्रकाशित करने का आरोप लगाकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तक शिकायत करने की बात कह रहे हैं।
क्या विभाग के बड़े अधिकारी भी हैं शामिल?
इस चैट से बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी इस साजिश का हिस्सा हैं? क्योंकि निरीक्षक द्वारा चुनावी एजेंडे में किसी विशेष समाचार पोर्टल को निशाना बनाने और उसके खिलाफ सामूहिक कार्रवाई की अपील करना न केवल विभाग की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है बल्कि सीधे-सीधे प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला भी प्रतीत होता है।
भ्रष्टाचार विरोधी खबरों से बौखलाहट?
गौरतलब है कि अवध भूमि न्यूज़ पिछले काफी समय से आबकारी विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार, ग्रेडेशन लिस्ट में हेराफेरी और अवैध शराब कारोबार से जुड़े मामलों पर लगातार खबरें प्रकाशित कर रहा है। माना जा रहा है कि इन्हीं खुलासों की वजह से पोर्टल को निशाने पर लिया जा रहा है।
विभाग की “जीरो टॉलरेंस” नीति पर सवाल
राज्य सरकार और विभागीय स्तर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ “जीरो टॉलरेंस” की नीति का दावा किया जाता है। लेकिन विभागीय कर्मियों द्वारा खुले मंच पर मीडिया संस्थान को चुनावी एजेंडे का हिस्सा बनाना और उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग करना इस नीति की पोल खोलता है।
अब अधिकारी लें संज्ञान
यह मामला अब सीधे-सीधे लोकतांत्रिक अधिकारों और मीडिया की स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है। संबंधित उच्चाधिकारियों, आबकारी आयुक्त और शासन को इस गंभीर प्रकरण का संज्ञान लेकर पारदर्शी जांच करानी चाहिए ताकि सच सामने आ सके और विभाग की साख बचाई जा सके।
आबकारी निरीक्षक शैलेंद्र तिवारी का व्हाट्सएप चैट वायरल, अवध भूमि न्यूज़ को बनाया चुनावी मुद्दा
प्रयागराज। आबकारी विभाग में तैनात निरीक्षक शैलेंद्र तिवारी का एक व्हाट्सएप संदेश सामने आया है, जिसने विभागीय राजनीति और मीडिया स्वतंत्रता दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस संदेश में उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि आबकारी निरीक्षक संघ चुनाव में सभी प्रत्याशी अपने एजेंडे में यह शामिल करें कि विभागाध्यक्ष और आबकारी निरीक्षकों के खिलाफ असत्य, भ्रामक और निराधार समाचार प्रकाशित करने वाले समाचार पत्र/न्यूज़ पोर्टल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
तिवारी ने आगे लिखा है कि वह इस मुद्दे पर लगातार काम कर रहे हैं और उम्मीद जताई कि चुनाव जीतने वाले प्रत्याशी भी उनके साथ खड़े रहेंगे। उन्होंने विशेष रूप से अवध भूमि न्यूज़ का नाम लेते हुए यह भी उल्लेख किया कि इस पोर्टल के खिलाफ उनकी शिकायत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में लंबित है और मंत्रालय द्वारा इस पर शो कॉज नोटिस जारी किया जा रहा है।
अवध भूमि न्यूज़ को क्यों बनाया गया निशाना?
ज्ञात हो कि अवध भूमि न्यूज़ पिछले कई महीनों से आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार, ग्रेडेशन लिस्ट में हेराफेरी और अवैध शराब कारोबार से जुड़ी खबरें लगातार प्रकाशित कर रहा है। शैलेंद्र तिवारी वर्तमान में प्रभारी निरीक्षक आबकारी गोदाम प्रयागराज है। गोदाम की निगरानी के बजाय आबकारी मुख्यालय में ट्रांसफर और पोस्टिंग की सेटिंग करते हैं और स्वयं प्रमुख सचिव और कमिश्नर का नजदीकी बताकर विभाग के अधिकारियों पर धौंस जमाते हैं। इनकी कर गुजरी की वजह से कमिश्नर और प्रमुख सचिव तक बदनाम हुए हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। शैलेंद्र तिवारी की व्हाट्सएप चैट से स्पष्ट हो गया है कि अवध भूमि न्यूज़ द्वारा आबकारी विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और अराजकता को प्रमुखता से छापने के कारण अवध भूमि न्यूज़ की आवाज दबाने के लिए बड़ी साजिश रची जा रही है। माना जा रहा है कि इन्हीं खबरों के कारण पोर्टल को निशाना बनाया जा रहा है।
विभागाध्यक्ष के प्रति वफादारी या चुनावी रणनीति?
व्हाट्सएप संदेश में शैलेंद्र तिवारी ने विभागाध्यक्ष और विभाग की प्रतिष्ठा की रक्षा करने को अपना दायित्व बताया है। लेकिन चुनाव से ठीक पहले किसी मीडिया संस्थान को खुलेआम निशाना बनाना और उसे चुनावी मुद्दा बनाना कई सवाल खड़े करता है। क्या यह महज चुनावी रणनीति है या विभागीय उच्च अधिकारियों के दबाव में उठाया गया कदम?
“जीरो टॉलरेंस” नीति पर उठे सवाल
राज्य सरकार और आबकारी विभाग भ्रष्टाचार पर “जीरो टॉलरेंस” की नीति का दावा करते हैं। लेकिन विभाग के ही निरीक्षक द्वारा मीडिया पोर्टल को ब्लैकमेलिंग और फर्जी समाचार का ठप्पा लगाकर चुनावी मुद्दा बनाना इस नीति की गंभीरता पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
अब अधिकारियों को लेना होगा संज्ञान
यह मामला केवल विभागीय राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पत्रकारिता की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक अधिकारों से भी जुड़ा हुआ है। आबकारी आयुक्त, प्रमुख सचिव आबकारी और शासन स्तर पर संबंधित अधिकारियों को इस पूरे प्रकरण का संज्ञान लेकर जांच करनी चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आ सके।

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