
🟥 **रज्जू विश्वविद्यालय में परीक्षा केंद्र आवंटन पर बड़ा घोटाला?
कुलपति पर भारी अनियमितताओं का आरोप, विवादित कॉलेज को बनाया गया सेंटर**
प्रयागराज | शिक्षा संवाददाता
रज्जू विश्वविद्यालय में परीक्षा केंद्र निर्धारण को लेकर गंभीर अनियमितताओं का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। छात्रों और शिक्षा जगत से जुड़े लोगों ने आरोप लगाया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन उन महाविद्यालयों को परीक्षा केंद्र बना रहा है जो लाखों रुपये देने में सक्षम हैं।
इन आरोपों ने कुलपति की भूमिका पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।
🔴 विवादित कॉलेज को रोक के बावजूद परीक्षा केंद्र?
सूत्रों के अनुसार प्रयागराज का एक चर्चित महाविद्यालय, जिस पर कई गंभीर आरोप और प्रबंध तंत्र से जुड़े विवाद चल रहे हैं, उसे रोक के बावजूद परीक्षा केंद्र बना दिया गया।
आरोप है कि—
- विश्वविद्यालय प्रशासन को कई लाख रुपये देकर केंद्र आवंटित कराया गया।
- कॉलेज में नकल की पूरी छूट रहती है।
- उड़न दस्ते को जानबूझकर नहीं भेजा जाता।
- प्रत्येक छात्र/छात्रा से ₹3,000 से ₹5,000 तक अवैध वसूली होती है।
- महाविद्यालय में करीब 10,000 गरीब विद्यार्थी रजिस्टर्ड हैं जो सीधे वसूली के शिकार बनते हैं।
🟧 परीक्षा केंद्र निर्धारण में पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि रज्जू विश्वविद्यालय में परीक्षा केंद्रों के आवंटन की प्रक्रिया पिछले कुछ वर्षों में अत्यंत संदिग्ध रही है।
आरोपों के अनुसार—
- जो कॉलेज अधिक धन दे, वहीं परीक्षा केंद्र बन जाए,
- अंडरपरफॉर्मेंस या विवादित इतिहास होने के बावजूद ऐसे कॉलेजों को प्राथमिकता दी जाती है,
- केंद्र निर्धारण “नीलामी जैसी प्रणाली” में बदल चुका है।
🟥 कुलपति पर कार्रवाई किस नियम के तहत हो सकती है?
यदि जांच में अनियमितताएँ सिद्ध होती हैं, तो कुलपति पर निम्न नियमों व प्रावधानों के तहत सख्त कार्रवाई संभव है:
⚖️ 1. उ.प्र. राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम, 1973
🔹 धारा 13 – कुलपति का दायित्व और पद से हटाया जाना
कुलपति द्वारा
- भ्रष्टाचार,
- पद का दुरुपयोग,
- कदाचार,
- वित्तीय अनियमितता
जैसा मामला पाए जाने पर राज्यपाल (कुलाधिपति) सीधे निलंबन या पद से हटाने का आदेश दे सकते हैं।
🔹 धारा 52 – आपात हस्तक्षेप
यदि परीक्षा प्रक्रिया में अनियमितता, नकल संरक्षण या अवैध वसूली सामने आए, तो कुलाधिपति तत्काल हस्तक्षेप कर सकते हैं।
⚖️ 2. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988
यदि पैसे लेकर परीक्षा केंद्र आवंटन सिद्ध होता है, तो—
- धारा 7
- धारा 13(1)(d)
- धारा 13(2)
के अंतर्गत मामला दर्ज कर कुलपति सीधे भ्रष्टाचार के आरोपों में आरोपी बनाए जा सकते हैं।
⚖️ 3. भारतीय दंड संहिता (IPC)
अनियमितता गंभीर होने पर IPC की धाराएँ भी लागू हो सकती हैं—
- धारा 420 – धोखाधड़ी
- धारा 409 – पद का दुरुपयोग
- धारा 120B – आपराधिक साजिश
- धारा 468 – फर्जीवाड़ा
🟦 छात्रों का सवाल: “क्या निष्पक्ष परीक्षा संभव है?”
छात्र संगठनों ने कहा कि यदि परीक्षा केंद्र ही धन के आधार पर निर्धारित होंगे तो निष्पक्ष परीक्षा की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
छात्रों ने मुख्यमंत्री, राज्यपाल और उच्च शिक्षा विभाग से तुरंत उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।
🟩 निष्कर्ष
रज्जू विश्वविद्यालय में परीक्षा केंद्र आवंटन से जुड़ा यह मामला
- भ्रष्टाचार,
- अवैध वसूली,
- प्रशासनिक दुरुपयोग
के गंभीर आरोपों के साथ अब बड़ा विवाद बन चुका है।
जांच शुरू होने पर कई बड़े चेहरे फंस सकते हैं।
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