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प्रतापगढ़ में हो रहा है वकीलों का प्रशासनिक उत्पीड़न: अध्यक्ष रूरल बार एसोसिएशन उत्तर प्रदेश


लालगंज, प्रतापगढ़। आल इण्डिया रूरल बार एसोशिएसन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञानप्रकाश शुक्ल ने इस समय जिले की कुण्डा तथा रानीगंज के साथ लालगंज तहसील मे अधिवक्ताओं के प्रशासनिक उत्पीडन को चिंताजनक करार दिया है। उन्होनें कहा कि कुण्डा में मानिकपुर थाने मे अधिवक्ता के साथ पुलिस र्दुव्यवहार किया गया। वहीं उन्होनंे रानीगंज तहसील मे प्रशासनिक कार्यशैली के खिलाफ अधिवक्ताओं के आक्रोश के साथ लालगंज मे भी वकीलों तथा प्रशासन के बीच अभी भी बने आंतरिक गतिरोध को प्रशासन का अधिवक्ता विरोधी चेहरा कहा है। शनिवार को यहां वकीलों की बैठक में श्री शुक्ल ने जिला प्रशासन से कहा है कि जिले की तीन तीन तहसीलों मे अधिवक्ताओं के विरोध को देखते हुए समस्याओं के समाधान की पहल के लिए वह सकारात्मक रवैया अख्तियार करे। रूरल बार के अध्यक्ष ज्ञानप्रकाश ने कहा कि यह पहली बार हेै कि जिले मे तीन तीन तहसीलो मे वकील प्रशासनिक हठवादिता के कारण विरोध प्रदर्शन को बाध्य हुए हैं। वहीं उन्होने इन तीनों तहसीलो के अधिवक्ताओं से अपने विरोध को लोकतांत्रिक तरीके से रखते हुए शांतिप्रिय ढंग से अपनी आवाज बुलन्द रखने को कहा है। उन्होनंे जिला प्रशासन से कहा कि बेहतर होता कि दीवानी अदालतो से जुडी समस्याओं के समाधान के लिए जिस तरह से सभी बार के प्रतिनिधियों की आवश्यक बैठक हुआ करती है। जिला प्रशासन को भी जिले के अधिवक्ता संगठनो के प्रतिनिधियों के साथ माह मे कम से कम एक बार वकीलों की समस्याओं के निराकरण के लिए संयुक्त बैठक का पहल करना चाहिए। उन्होनंे कहा कि जिले के अधिवक्ता इस समय अपने आपको हर कदम पर असुरक्षित व अपमानित महसूस कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में जिला प्रशासन को भी अधिवक्ताओं के सम्मान व सुरक्षा के भरोसे का माहौल तैयार करने मे ठोस पहल करनी आवश्यक है। उन्होनें कहा कि यदि जिले मे वकीलों का उत्पीडन इसी तरह जारी रहा तो उनका संगठन जिला मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन की शुरूआत करने को भी बाध्य होगा। बैठक की अध्यक्षता एसोशिएसन के महासचिव एवं संयुक्त अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अनिल त्रिपाठी महेश ने किया। संचालन पूर्व उपाध्यक्ष विपिन शुक्ल ने किया। इस मौके पर अशोक शुक्ल, आशीष तिवारी, रमेश पाण्डेय, शैलेन्द्र सिंह, कमाल अहमद, सत्येन्द्र श्रीवास्तव, शिव नारायण शुक्ल, राजेश सरोज, जयकरन सिंह, प्रभाकर पाल, ललित गौड़, विनय शुक्ल आदि अधिवक्ता रहे।

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