प्रयागराज। आबकारी आयुक्त रियल पांडियन सी का एक और कारनामा सामने आया है। पता चला है कि वह लखनऊ में अवैध रूप से कैंप कार्यालय में रहते हैं और आबकारी मुख्यालय में नहीं बैठते हैं। उनके स्तर से निस्तारित की जाने वाली पत्रावली लेकर गाड़ी प्रतिदिन प्रयागराज से लखनऊ जाती है कमिश्नर के हस्ताक्षर के बाद लखनऊ से प्रयागराज आती है। कमिश्नर की नवाबी के चलते विभाग को प्रतिमाह लगभग ₹100000 का चूना लगता है। इतना ही नहीं सुनने में आया है कि प्रयागराज से हस्ताक्षर के लिए यही गाड़ी कमिश्नर के नोएडा स्थित निजी निवास पर चली जाती है।
ऐसे में बड़ा सवाल उठ रहा है कि आबकारी मुख्यालय में बैठकर आयुक्त पत्रावली निस्तारित क्यों नहीं करते हैं। आबकारी मुख्यालय में नहीं बैठने के क्या कारण हैं। सूत्रों का कहना है कि लखनऊ स्थित कैंप कार्यालय में आयुक्त कुछ लोगों से तथाकथित रूप से डील करते हैं और डील के अनुसार पत्रावली मुख्यालय प्रयागराज से लखनऊ मंगाई जाती है और कमिश्नर उस पर हस्ताक्षर करते हैं जिसके बाद वही फाइल मुख्यालय वापस लौटती है। इसे कमिश्नर की नवाबी कहें या फिर प्राइवेसी फिलहाल चाहे जो भी हो कमिश्नर का यह कारनामा चर्चा में है।
लोगों का दावा है कि कमिश्नर को मिली इनोवा गाड़ी की लॉग बुक चेक करने के बाद और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं।
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