लखनऊ। नियम के विपरीत इंस्पेक्टर से सहायक आबकारी आयुक्त बनाए गए अशोक कुमार के रिवर्ट होने के बाद अब यह सवाल उठ रहा है कि इस खेल के मुख्य खिलाड़ी कौन-कौन है और उन्होंने क्या खेल किया। मिली जानकारी के मुताबिक 2015 से आज तक बाबू इंस्पेक्टर सहायक आबकारी आयुक्त था आबकारी आयुक्त की कोई भी ग्रेडेशन लिस्ट बनाई ही नहीं गई। ऐसे में सवाल उठता है कि बिना ग्रेडेशन लिस्ट के विभागीय पदोन्नतियां कैसे हुई। लोगों का कहना है कि विभागीय पदोन्नति के दौरान पटल प्रभारी प्रसेन रॉय ने ₹100000 से लेकर 500000 रुपय तक वसूले । बताने की जरूरत नहीं है कि इसका एक बड़ा हिस्सा तत्कालीन एडिशनल कमिश्नर कमिश्नर और प्रमुख सचिव तक पहुंचा। एक अनुमान के मुताबिक इस तरह करोड़ों रुपए की वसूली हुई। हालांकि प्रसेन राय से शासन द्वारा संदर्भित प्रकरण में स्पष्टीकरण मांगा गया है। लेकिन अभी तक स्पष्टीकरण शासन तक नहीं भेजा गया है। माना जा रहा है कि इस गंभीर और संवेदनशील प्रकरण में प्रसेन राय की सेवा समाप्त हो सकती है। इसके अलावा वरिष्ठ सहायक राजकुमार यादव भी पर्सनल में 25 सालों से तैनात है और ग्रेडिंग में हेरा फेरी करने के लिए मास्टरमाइंड माना जाता है। रवि यादव भी यहीं पर कई सालों से तैनात है।
स्वयंभू डिप्टी कार्मिक बन गए राजेंद्र कुमार: जारी किए कई अवैध आदेश
इस खेल के दूसरे बड़े खिलाड़ी राजेंद्र कुमार बताया जा रहे हैं जो सहायक आबकारी आयुक्त हैं और उन्हें डिप्टी कार्मिक का प्रभाव दिया गया है उन्होंने अपने आप को डिप्टी कार्मिक घोषित कर दिया और प्रभारी डिप्टी कार्मिक की जगह डिप्टी कार्मिक के अधिकारों का इस्तेमाल करने लगे। इतना ही नहीं वह आज भी प्रभारी डिप्टी कार्मिक लिखने के बजाय डिप्टी कार्मिक के तौर पर सारे आदेश जारी कर रहे हैं इसका संज्ञान शासन ने लिया है और इन्हें भी निलंबित किया जाएगा।
जॉइंट सेक्रेटरी उमेश तिवारी भी रडार पर
अशोक कुमार की पत्रावली को गलत तरीके से शासन में भेजने के आरोपी जॉइंट सेक्रेटरी उमेश तिवारी से भी जवाब तलब किया गया है इनको लेकर भी प्रमुख सचिव का रवैया बेहद शक्ति है और बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
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